श्रीनगर उपचुनाव में भारी हिंसा, 8 लोगों की मौत, उपद्रव की 200 से ज्यादा घटनाएं, वोटिंग सिर्फ 7 फीसदी

श्रीनगर उपचुनाव में भारी हिंसा, 8 लोगों की मौत, उपद्रव की 200 से ज्यादा घटनाएं, वोटिंग सिर्फ 7 फीसदी

श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं (फोटो : PTI))

खास बातें

  • कई जगह हिंसक भीड़ ने मतदान केंद्रों पर हमला बोला
  • चुनाव कर्मचारी मतदान केंद्र छोड़कर चले गए
  • अपने राजनीतिक जीवन में कभी ऐसी चुनावी हिंसा नहीं देखी : उमर अब्दुल्ला
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर ने रविवार को एक ऐसा हिंसक उपचुनाव देखा, जिसमें 200 से ज़्यादा हिंसक घटनाएं हुईं, 8 लोगों की जान चली गई, लगभग 100 मतदानकर्मी घायल हुए और वोटिंग हुई मात्र 7 फीसदी. श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में ये सब हुआ, जहां सरकारी इंतजाम पूरी तरह फेल नजर आए. कई जगह हिंसक भीड़ ने मतदान केंद्रों पर हमला बोला, जिसके बाद चुनाव कर्मचारी मतदान केंद्र छोड़कर चले गए. सैकड़ों ईवीएम को तोड़ दिया गया. नतीजा मतदान सिर्फ़ 7% रहा.

सबसे अधिक हिंसा श्रीनगर लोकसभा सीट के बडगाम जिले में हुई जहां जिले के चरारे शरीफ, बीरवाह और छडूरा में 2-2 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति की मौत मागम कस्बे में हुई. एक अन्य व्यक्ति की गांदेरबल के बारसू में मौत हो गई. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हिंसा में लोगों के मरने पर शोक जताते हुए कहा कि मरने वाले लोगों में अधिकतर किशोर थे, जो इस समस्या की जटिलता को अभी तक समझ भी नहीं पाए होंगे.

सुबह मतदान शुरू होने के साथ मतदान केंद्रों के बाहर बहुत कम मतदाता दिखे. इस दौरान नारेबाजी करती भीड़ ने बडगाम में मतदान केंद्रों पर हमला किया, ईवीएम क्षतिग्रस्त कर दिए और मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया. पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बलों ने प्रारंभ में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी स्वरूप हवा में गोलियां चलाई, लेकिन इसका असर नहीं हुआ.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी शांतमनु ने मीडियाकर्मियों से कहा, 'यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था. 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. मतदान 7.09 प्रतिशत हुआ.' पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनके 20 वर्षों के राजनीतिक जीवन में उन्होंने ऐसी चुनावी हिंसा नहीं देखी. उमर ने हिंसा को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाया कि वह मतदान के अनुकूल वातावरण नहीं मुहैया करा पाईं. उमर ने कहा, 'महबूबा मुफ्ती इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. यह कुप्रबंधन है.'

अलगाववादियों के चुनाव के बहिष्कार के आह्वान के बाद शनिवार देर शाम घाटी में इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई थी और सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. इस सीट पर मुख्य मुकाबला विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नाजिर अहमद खान के बीच था, जबकि यहां कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे. पिछले वर्ष आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद पीडीपी नेता तारिक हमीद कर्रा ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण यह सीट रिक्त हो गई थी.


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