CWC की बैठक से एक दिन पहले बोले अभिषेक मनु सिंघवी- सहमति बनाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष का हो चयन, जरा भी न हो देरी

राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद बनी असमंजस की स्थिति और नेतृत्व के संकट को खत्म करने की कोशिश करते हए कांग्रेस ने 10 अगस्त को पार्टी की कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई है.

CWC की बैठक से एक दिन पहले बोले अभिषेक मनु सिंघवी- सहमति बनाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष का हो चयन, जरा भी न हो देरी

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी.

नई दिल्ली:

कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर होने जा रही कार्य समिति की बैठक से एक दिन पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे अध्यक्ष का चयन होना चाहिए जो सहमति बनाकर चले. उन्होंने नए अध्यक्ष के चयन के लिए पार्टी के भीतर चुनाव की प्रक्रिया अपनाने पर जोर देते हुए यह भी कहा कि इस चयन में अब जरा भी देर नहीं होनी चाहिए. सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, 'शनिवार को सहमति स्थापित करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष का चयन होना चाहिए. जरा सी देरी भी अब विकल्प नहीं है.' दरअसल, पार्टी के अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद बनी असमंजस की स्थिति और नेतृत्व के संकट को खत्म करने की कोशिश करते हए कांग्रेस ने 10 अगस्त को पार्टी की कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई है.

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद गत 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में गांधी की ओर से इस्तीफे की पेशकश के बाद से सीडब्ल्यूसी की अगली बैठक और अगले अध्यक्ष को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही थीं. शशि थरूर और पार्टी के कई नेता यह खुलकर कह चुके हैं कि यह असमंजस की स्थिति खत्म होनी चाहिए और नए अध्यक्ष को लेकर जल्द फैसला होना चाहिए. पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे सहित कई वरिष्ठ नेताओं के नामों की चर्चा भी हुई.

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वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी युवा नेता को सौंपने की बात की और फिर महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम की पैरवी की. वैसे, कांग्रेस के कई दूसरे नेता भी अध्यक्ष पद के लिए प्रियंका के नाम की पैरवी कर चुके हैं.

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उस वक्त उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा. 

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अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए गांधी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी वह पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहेंगे. उनके समर्थन में बहुत सारे नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया था. गांधी के इस्तीफे के बाद से अगले अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी में लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। नए अध्यक्ष को चुनने के लिए कई दौर की बैठकें हुईं लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई.

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