यह ख़बर 28 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पीएम मोदी के कारण महिला प्रोफेसर के आए 'अच्छे दिन'

फाइल फोटो

नोएडा:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के कारण एक सहायक महिला प्रोफेसर को यहां एक शीर्ष संस्थान से आखिरकार उसकी ग्रेच्युटी मिल गई।

सहायक प्रोफेसर कविता सुरभि ने बताया कि वह अपनी ग्रेच्युटी को लेकर कई महीनों से परेशान थी। उन्होंने 2007-2013 के बीच जिस संस्थान में काम किया था, उससे अपनी ग्रेच्युटी मांग रही थी। प्रधानमंत्री ने न सिर्फ उनका निवेदन स्वीकार किया, बल्कि नोएडा के एक विश्वविद्यालय के कॉलेज के प्रबंधन के साथ उनके मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया।

कविता के लिए 40,000 रुपये की ग्रेच्युटी राशि एक बड़ी समस्या बन गई थी, क्योंकि लॉ कॉलेज प्रबंधन इसमें अड़ंगा लगा रहा था। उन्होंने लेखाकार (अकाउंटेंट) से लेकर कॉलेज के संस्थापक सदस्य तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।

आखिरकार उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया और अपनी याचिका के स्वीकार किए जाने पर काफी खुश और हैरान हुईं।

कविता ने बताया, मैंने जुलाई 2014 में इस उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था कि मेरी समस्या सुनी जाएगी।

कविता को उनके ईमेल पर जवाब मिला, जिसमें उनके श्रम आयुक्त से मिलकर समस्या के बारे में बताने को कहा गया। मेल की एक कॉपी विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य को भी भेजी गई।

मोदी के चुनाव प्रचार में किया गया 'अच्छे दिन' का वादा कविता के लिए तब पूरा हो गया, जब उनकी ग्रेच्युटी राशि बढ़कर 1.6 लाख रुपये हो गई और बिना विलंब के उन्हें उसका भुगतान कर दिया गया।

कानून की शिक्षा में मास्टर की डिग्री ले रही कविता ने बताया कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि प्रधानमंत्री के कहने से उन्हें उनकी ग्रेच्युटी मिल गई।

उन्होंने कहा कि वह मोदी की ऋणी रहेंगी क्योंकि उन्होंने उस समय उनकी मदद की, जब वह उम्मीद खो चुकी थीं।

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कविता ने बताया, इसी समस्या से परेशान मेरे बहुत से साथी अब पीएमओ को लिख रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि उनकी समस्या भी सुनी जाएगी।

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