यह ख़बर 29 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

आदर्श घोटाले में चव्हाण समेत 13 पर FIR

खास बातें

  • सीबीआई ने आदर्श घोटाले में शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
Mumbai:

सीबीआई ने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें कुछ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्राथमिकी शनिवार दोपहर उपयुक्त न्यायालय के समक्ष दाखिल की गई। इसमें सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट जनरल पीके रामपाल, मेजर जनर एआर कुमार और तत्कालीन जीओसी इन सीटी के कौल और पूर्व प्रधान सचिव (शहरी विकास) रामानंद तिवारी का नाम भी है। प्राथमिकी सीलबंद लिफाफे में विशेष न्यायाधीश एमआर अगलावे को सौंपी गई। प्राथमिकी विशेष सीबीआई अदालत में दर्ज की गई। प्राथमिकी आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज पेश करने सहित भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दर्ज की गई है। इसमें मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव सुभाष लाला और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आरसी शर्मा का नाम भी आरोपी के तौर पर लिया गया है। सीबीआई ने एक वक्तव्य में कहा, प्राथमिक जांच पूरी होने के बाद 13 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें सेना, डिफेंस एस्टेट ऑफिस (डीईओ), महाराष्ट्र सरकार, लोक सेवकों और अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई सूत्रों ने दावा किया कि सोसाइटी के महासचिव आरसी ठाकुर, पूर्व ब्रिगेडियर एमएम वांचू और कांग्रेस के एल गिडवानी कथित तौर पर इस मामले में मुख्य षडयंत्रकारी हैं। चव्हाण को पिछले साल मुख्यमंत्री के पद से तब इस्तीफा देना पड़ा था, जब यह पाया गया कि आदर्श सोसाइटी के सदस्यों में उनकी दिवंगत सास और साली भी शामिल हैं। चव्हाण साल 2001-03 के बीच महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री थे और भूमि के स्वामित्व से संबंधी फाइलों से वही निपटे थे। उन्होंने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में कथित तौर पर आम नागरिकों को 40 फीसदी फ्लैटों का आवंटन करने की अनुशंसा की थी। गौरतलब है कि आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैटों का निर्माण कारगिल युद्ध के शहीदों की विधवाओं और युद्ध के नायकों को देने के लिए किया गया था। प्राथमिकी में प्रदीप व्यास का भी नाम है, जो साल 2002-05 के बीच मुंबई के जिलाधिकारी थे। उन्होंने कथित तौर पर सोसाइटी में 71 लोगों के नाम का अनुमोदन किया, जिनमें से कुछ लोग सदस्यता के लिए अयोग्य हैं। उनकी पत्नी सीमा व्यास का भी सोसाइटी में कथित तौर पर एक फ्लैट है।


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