विवादों में फंसी आदर्श इमारत को आज कब्जे में लेगी सेना

विवादों में फंसी आदर्श इमारत को आज कब्जे में लेगी सेना

आदर्श सोसाइटी (फाइल फोटो)

खास बातें

  • केंद्र सरकार की तरफ से सेना अपने कब्जे में लेगी
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने इमारत को गिराने का आदेश दिया था
  • सेना की जमीन कारगिल के शहीदों के नाम पर ली गई थी
नई दिल्ली:

विवादों में फंसी आदर्श इमारत को आज केंद्र सरकार की तरफ से सेना अपने कब्जे में लेने वाली है। 22 जुलाई 2016 को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि जब तक सोसायटी की स्पेशल लीव पिटीशन पर अंतिम फैसला नहीं आता तब तक वह इसे अपने कब्जे में ले और ख्याल रखे कि कोई इस पर अवैध कब्जा नहीं कर पाए।

इसके पहले 29 अप्रैल 2016 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने इमारत को गिराने का आदेश दिया था, जिसके विरोध में आदर्श  हाउसिंग सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। कोलाबा में सेना की जमीन पर बनी 31 मंजिला इमारत आदर्श हाउसिंग सोसायटी पर नियमो में हेरफेर कर निर्माण करने का आरोप है। आरोप यह भी है कि जिस भी संबंधित विभाग में आदर्श की फाइल गई उसके बड़े अफसर को बदले में एक फ्लैट मिला।

सेना की जमीन कारगिल के शहीदों के नाम पर ली गई लेकिन बाद में मंत्री, नेता, सरकारी बाबू और सेना के अफसरों ने इसमें बंदरबांट कर फ्लैट हथियाया। साल 2010 में मामला उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने जांच कमीशन की रिपोर्ट बिठाई थी। सीबीआई भी एफआईआर दर्ज कर जांच कर रही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, बीएमसी के पूर्व आयुक्त जयराज पाठक, पूर्व शहरी सचिव रामानंद तिवारी जैसे 16 बड़े लोग मामले में आरोपी हैं।

बताया जाता है कि 31 मंजिला इस इमारत में 102 फ्लैट हैं। आज के दिन में एक फ्लैट की कीमत 10 करोड़ के आसपास है जबकि बनाते समय प्रति सदस्य सिर्फ 85 लाख के करीब खर्च आया था।

सोसाइटी के चेयरमैन रिटायर ब्रिगेडियर टी के सिन्हा ने बताया कि हमने हर विभाग में जरूरी रकम भरी है, सभी परमिशन लिए हैं फिर भी आज इसे घोटाला कहा जा रहा है यह गलत है। हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है। सोसायटी के सदस्य अशोक पटेल ने अदालत के आदेश के मुताबिक, बिल्डिंग का कब्ज़ा शांति पूर्ण तरीके से सेना को देने की बात कहते हुए बिल्डिंग के रखरखाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि आज बिल्डिंग में बिजली पानी नहीं है। लिफ्ट से लेकर सोसायटी में लगे पेड़ और बाकी सबकी देखभाल में प्रति महीना 20 लाख रुपये के करीब खर्च आता है क्या सेना इतना खर्च कर पाएगी?

इस बीच सेना के दो जवान बिल्डिंग में आकर मुआयना कर जा चुके हैं। दोपहर 3 बजे के करीब बॉम्बे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की उपस्थिति में सेना आज सोसायटी को अपने कब्जे में ले सकती है।

इसके लिए जरूरी सामानों की सूची सोसाइटी की तरफ से बनाने का काम अब भी जारी है। निर्माण के काम में आने वाला कुछ सामान बिल्डिंग हैंडओवर के पहले निकालने का काम भी जारी है।


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