लाल किला को गोद देने पर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में बवाल

कांग्रेस ने उठाया सवाल- निजी समूह को लालकिले के रखरखाव की जिम्मेदारी कैसे दी गई, क्या सरकार के पास धनराशि की कमी है?

लाल किला को गोद देने पर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में बवाल

लाल किले को रखरखाव के लिए डालमिया भारत समूह ने गोद लिया है.

खास बातें

  • ऐतिहासिक विरासत की देखभाल अब डालमिया भारत समूह करेगा
  • सरकार ने 25 करोड़ का अनुबंध अगले पांच साल के लिए किया
  • केजे अल्फोंस ने कहा, कम्पनियां केवल पैसा खर्च करेंगी, कमाएंगी नहीं
नई दिल्ली:

लाल किला की देखरेख के ठेके पर शनिवार को सोशल मीडिया से लेकर राजनीति के गलियारों तक में पूरे दिन बवाल चला. सरकार ने राष्ट्रीय धरोहरों को गोद लेने की मुहिम के तहत लाल किला का ठेका डालमिया समूह को दे दिया है.

लाल किला को ठेके पर दिए जाने की ख़बर आने के बाद सवाल उठने शुरू हो गए. असल में सरकार ने पिछले साल 'एडॉप्ट ए हेरिटेज' नाम की योजना शुरू की है जिसमें 90 से अधिक राष्ट्रीय धरोहरों को चिन्हित किया गया है. माना जा रहा है कि इसके तहत जल्द ही ताजमहल को गोद लेने की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी. विपक्षी राजनीतिक पार्टियां इस कदम पर सवाल उठा रही हैं.

लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां ने 17 वीं शताब्दी में बनवाया था. इस अज़ीम धरोहर की देखभाल अब डालमिया भारत समूह करेगा. सरकार ने डालमिया ग्रुप के साथ एक एमओयू साइन किया है. डालमिया ग्रुप के साथ सरकार ने 25 करोड़ का अनुबंध अगले पांच साल के लिए किया है. ऐतिहासिक स्मारक गोद लेने वाला भारत का यह पहला कॉर्पोरेट हाउस बन गया है.

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डालमिया ग्रुप का कहना है कि वह लाल किले को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या और इस धरोहर की ख्याति में कई गुना इजाफा करना चाहता है. पर्यटन मंत्रालय और डालमिया समूह के बीच हुए समझौते के तहत ‘द डालमिया भारत’ समूह धरोहर और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचे का रखरखाव करेगा. समूह ने इस उद्देश्य के लिए पांच वर्ष की अवधि में 25 करोड़ रूपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई है.

कांग्रेस ने लाल किला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिए जाने पर सवाल उठाया. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा ‘‘वे ऐतिहासिक धरोहर को एक निजी उद्योग समूह को सौंप रहे हैं. भारत और उसके इतिहास को लेकर आपकी क्या परिकल्पना है और प्रतिबद्धता है? हमें पता है कि आपकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है लेकिन फिर भी हम आपसे पूछना चाहते हैं.’’ उन्होंने सवाल किया ‘‘क्या आपके पास धनराशि की कमी है. एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के लिए निर्धारित राशि क्यों खर्च नहीं हो पाती. यदि उनके पास धनराशि की कमी है तो राशि खर्च क्यों नहीं हो पाती है?’’

इस परियोजना के लिए इंडिगो एयरलाइंस और जीएमआर समूह दौड़ में थे. मंत्रालय के अनुसार डालमिया समूह ने 17 वीं शताब्दी की इस धरोहर पर छह महीने के भीतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर सहमति जताई है. इसमें पेयजल कियोस्क, सड़कों पर बैठने की बेंच लगाना और आगंतुकों को जानकारी देने वाले संकेतक बोर्ड लगाना शामिल है. समूह ने इसके साथ ही स्पर्शनीय नक्शे लगाना, शौचालयों का उन्नयन, जीर्णोद्धार कार्य करने पर सहमति जताई है. इसके साथ ही वह वहां 1000 वर्ग फुट क्षेत्र में आगंतुक सुविधा केंद्र का निर्माण करेगा. वह किले के भीतर और बाहर 3-डी प्रोजेक्शन मानचित्रण, बैट्री चालित वाहन और चार्ज करने वाले स्टेशन और थीम आधारित एक कैफेटेरिया भी मुहैया कराएगा.

पवन खेड़ा की टिप्पणी पर पर्यटन राज्यमंत्री केजे अल्फोंस ने कहा कि गत वर्ष शुरू की गई योजना के तहत मंत्रालय धरोहर स्मारकों को विकसित करने के लिए जन भागीदारी पर गौर कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस परियोजना में शामिल कम्पनियां केवल पैसा खर्च करेंगी, पैसा कमाएंगी नहीं. वे आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके लिए शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराएंगी. वे यह बताने के लिए बाहर में बोर्ड लगा सकती हैं कि उन्होंने मूलभूत सुविधाएं विकसित की हैं. यदि वे राशि खर्च कर रही हैं तो उसका श्रेय लेने में कुछ गलत नहीं है.’’

अल्फोंस ने कहा ‘‘मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं उन्होंने पिछले 70 वर्ष में क्या किया. सभी धरोहर स्मारक और उसके आसपास स्थित सुविधाओं की स्थिति अत्यंत खराब है. कुछ स्थानों पर कोई सुविधा ही नहीं है.’’

VIDEO : लाल किले को गोद देने पर उठे सवाल

इस वर्ष 31 मार्च तक की स्थिति के अनुसार संभावित स्मारक मित्रों का चयन किया गया है. इनका चयन निरीक्षण एवं दृष्टि समिति द्वारा किया गया है ताकि 95 धरोहर स्मारकों पर पर्यटकों के अनुकूल सुविधाओं का विकास किया जा सके. इन 95 स्मारकों में लाल किला, कुतुब मीनार, हम्पी (कर्नाटक), सूर्य मंदिर (ओडिशा), अजंता गुफा (महाराष्ट्र), चार मीनार (तेलंगाना) और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) शामिल हैं. सरकार ने इसके लिए फैसला कुछ अरसे पहले लिया था.   
(इनपुट एजेंसियों से भी)


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