यह ख़बर 14 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

कालेधन पर सरकार का रुख ढीला : आडवाणी

खास बातें

  • लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश करने के बाद आडवाणी ने कहा कि विदेशों में 25 लाख करोड़ का कालाधन जमा है, जिससे 6 लाख गांवों में विकास संभव है।
New Delhi:

एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार से मांग की कि विदेशी बैंकों में जमा कथित रूप से 25 लाख करोड़ रुपये देश में वापस लाने के तुरंत कदम उठाए जाएं और इस बारे में श्वेतपत्र जारी कर विदेशों में काला धन रखने वाले सभी लोगों के नाम बताए जाएं। लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत कालेधन पर चर्चा की शुरुआत करते हुए आडवाणी ने सरकार से कहा कि विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों के जो भी नाम उसे मिले हैं, उन्हें संरक्षण देने के बजाय वह उनकी पूरी सूची तुरंत देश के सामने रखे। उन्होंने कहा, सरकार कालाधन रखने वालों की पूरी की पूरी सूची जारी करे। कोई भी नाम छिपाया नहीं जाना चाहिए...विदेशों में काला धन रखने वाले किसी व्यक्ति का बचाव न करें और अगर हमारा भी नाम हो तो उसे बताएं। उन्होंने कहा कि यह बात उनकी समझ से परे है कि सरकार को जब विदेशों में काला धन रखने वाले 600 से अधिक लोगों के नामों का पता लग गया है, तो वह उन्हें देश को बताने में क्यों झिझक रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों से केवल कर लेकर उन्हें छोड़ देने के प्रति आगाह करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा, विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों से केवल कर लेकर बात खत्म नहीं कर देनी चाहिए, बल्कि ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। कालेधन के बारे में श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हुए आडवाणी ने कहा कि इसमें इस बात का भी उल्लेख होना चाहिए कि सरकार ने अब तक विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन को वापस लाने के लिए क्या प्रयत्न किए हैं। आडवाणी ने कहा कि बीजेपी के सभी सांसदों ने 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के अवसर पर संसद में अपने संबंधित सदनों में यह हलफनामा दे दिया है कि विदेशों में उनका कोई अवैध खाता या संपत्ति नहीं है। उन्होंने सरकार से कहा कि वह ऐसा नियम बनाए, जिसके तहत सभी सांसदों के लिए यह आवश्यक हो कि वह अपने अपने सदन में यह हलफनामा दें कि विदेशों में उसका कोई अवैध खाता या संपत्ति नहीं है। 15वीं लोकसभा में पहले कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत अपनी बात रखते हुए आडवाणी ने एनडीए शासन के दौरान विदेशों से कालाधन वापस लाए जाने के प्रयास नहीं करने के आरोपों के संदर्भ में दलील दी, कहा जाता है कि जब हम शासन में थे तो हमने क्यों नहीं किया। यह स्थिति पहले नहीं थी। सत्ता पक्ष के सदस्यों के ठहाकों के बीच उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के भ्रष्टाचार के विरुद्ध समझौते के बाद हालात बदले हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका पर आतंकवादी हमला होने के बाद उस सहित फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी आदि ने कालाधन रखने वाले बैंकों पर दबाव बनाना शुरू किया और इसके चलते नाम उजागर होने प्रारंभ हुए। जिस वक्त आडवाणी कालेधन पर अपनी बात रख रहे थे, उस समय सदन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी उपस्थित नहीं थे। आडवाणी ने सरकार से सवाल किया कि विदेशों से भारतीयों के कालाधन लाने में और ऐसा करने वालों के नाम बताने में सरकार को आखिर दिक्कत क्या है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि संयुक्त राष्ट्र की भ्रष्टाचार विरोधी संधि जब 2003 में अस्तित्व में आ चुकी थी, तो सरकार ने उसका अनुमोदन करने में 2011 तक का विलंब क्यों किया। विदेशी बैंकों में अवैध रूप से जमा धन से उत्पन्न स्थिति पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए आडवाणी ने हवाला मामले में जेल में बंद हसन अली का उल्लेख करते हुए सरकार से जानना चाहा कि आखिर यह कौन व्यक्ति है और उसके किस-किस से संबंध हैं। बीजेपी नेता ने सरकार से आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीयों के नामों को उजागर करे वरना ऐसा न हो कि हमें 2012 में उस शर्मनाक स्थिति का सामना करना न पड़े जब विकिलीक्स की ओर जूलियन असांजे ऐसा कर दे। गौरतलब है कि असांजे ने पिछले दिनों कहा था कि वह 2012 में विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीयों की सूची जारी कर सकते हैं। बीजेपी नेता ने 25 लाख करोड़ रुपये के काला धन के अनुमान को लगभग सही बताते हुए प्रधानमंत्री से मुखातिब होते हुए कहा कि इस धन को वापस लाकर वह देश के छह लाख से अधिक गांवों में निवेश कर दें। उन्होंने कहा कि ऐसा कर देने से भारत दुनिया के सबसे आधुनिक गांवों वाला देश बन जाएगा और इससे देश भी दुनिया की पहली पंक्ति में खड़ा नजर आएगा।


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