यह ख़बर 08 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

10 साल लंबा बॉयकॉट खत्म, मोदी से मिले यूरोपीय राजदूत

खास बातें

  • पिछले महीने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के राजदूतों ने मोदी से मुलाकात की थी। इसे पिछले 10 सालों से मोदी के डिप्लोमैटिक बॉयकॉट के खात्मे के तौर पर देखा जा रहा है।
नई दिल्ली:

नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की बीजेपी के भीतर तेज होती मांग के बीच लगता है, यूरोपीय देश भी मोदी को लेकर अपने रुख़ पर फिर से सोचने लगे हैं। पिछले महीने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के राजदूतों ने मोदी से मुलाकात की थी। इसे पिछले 10 सालों से मोदी के डिप्लोमैटिक बॉयकॉट के खात्मे के तौर  पर देखा जा रहा है।

एक अखबार के मुताबिक, 7 जनवरी को जर्मनी के राजदूत एम स्टेनर के घर पर यूरोपीय देशों के राजदूत लंच पर मोदी से मिले थे। जर्मन राजदूत ने आज इस मुलाकात पर सफाई देते हुए कहा कि गुजरात को नए नजरिए से देखने की कोशिशों की तरह यह मुलाकात हुई। खासकर गुजरात चुनावों के बाद नजरिया कुछ बदला है।

इससे पूर्व यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने कहा था कि गुजरात दंगों की जवाबदेही तय होना भारत और विश्व के सभी लोगों के हित में है।

उसने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव में विजय के बाद पिछले महीने मोदी से मिलने वाले यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने 2002 के दंगों का मामला उठाया था।

भारत में ईयू के राजदूत जोआओ क्राविन्हो ने कहा, 2002 के दंगों में क्या हुआ, इस पर चर्चा करने के लिए मोदी हमारे निमंत्रण पर जनवरी में हमारी भोज बैठक में आए थे। चर्चा करने वाले विषयों में 2002 के दंगों के संदर्भ में न्यायिक प्रक्रिया, जवाबदेही से जुड़े मुद्दे उठे। गुजरात में विकास और हाल की चुनावी विजय के बारे में भी चर्चा हुई। यह पूछे जाने पर कि क्या दंगों के बाद 10 साल तक मोदी का बहिष्कार करने वाला ईयू उनके प्रति नरम पड़ रहा है, उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि 2002 में जो हुआ उसकी जवाबदेही भारत और दुनिया भर के लोगों के हित में है।

क्राविन्हो ने कहा कि 2002 के दंगों को लेकर भारत में कुछ हद तक भावनाएं और संवेदनाएं जुड़ी हुई हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि कल मुख्यमंत्री ने अपना भाषण दिया (दिल्ली के एसआरसीसी कॉलेज) में जो काफी उत्सुकता का मामला था। लेकिन इसके साथ ही कुछ अन्य लोग थे, जो काफी नाखुश थे.. मुझे लगता है कि इस मामले में निश्चिततौर पर काफी भावनाएं और संवेदनाएं हैं।

उन्होंने कहा, और यह ऐसा मामला है, जिसे हम बड़ी उत्सुकता से देखेंगे। गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पटिया नरसंहार मामले में गुजरात की एक अदालत द्वारा विधायक माया कोदनानी और बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी के साथ 30 अन्य को सज़ा सुनाए जाने के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा, भारतीय न्याय धीमा हो सकता है, लेकिन वे मामलों का निपटारा करते हैं।

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इससे पहले पिछले साल अक्तूबर में ईयू के महत्वपूर्ण सदस्य देश ब्रिटेन ने गुजरात के एक दशक के अपने बहिष्कार को समाप्त किया और भारत में उसके उच्चायुक्त जेम्स बेवल मोदी से मिले। इस ‘‘मैत्रीपूर्ण’’ शुरुआत से दोनों पक्षों ने व्यापक आर्थिक सहयोग पर चर्चा की।