18 महीने बाद पुलिस की गिरफ्त में आया दिल्ली का डॉन नीरज बवाना

नई दिल्ली:

पुलिस उसका 18 महीने से पीछा कर रही थी, लेकिन वह शहर पर शहर बदल रहा था। तकनीक के उपयोग में माहिर इस शख्स की लोकेशन कभी सही नहीं मिलती थी। मेरठ, रांची, कोलकाता, आगरा, अहमदाबाद, बड़ोदरा, सिलवासा, चंड़ीगढ़, रोहतक और ऐसे न जाने कितने शहरों में पुलिस ने छापेमारी की लेकिन पुलिस ने आने से पहले ही वह निकल चुका होता था।

नए मोबाइल फोन, महंगी गाड़ियां और गर्लफ्रेंड का शौक रखने वाला नीरज बवाना मंगलवार तड़के सुबह उस समय पुलिस की पकड़ में आ गया, जब वह बवाना इलाके में अपने परिवार के लोगों से मिलने जा रहा था।  

कैसे बना डॉन?
 
नीरज का जन्म 1988 में दिल्ली के बवाना इलाके में हुआ, उसके पिता डीटीसी कंडक्टर थे। नीरज ने पहली बार 19 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वह जुर्म के रास्ते पर तेजी से बढ़ा, लेकिन उस समय दिल्ली का डॉन नीतू दाबोदा उसके रास्ते का कांटा था। नीतू दाबोदा गैंग के अलावा तब पारस गैंग, कर्मबीर गैंग का भी बोल-बाला था।

साल 2013 में दिल्ली पुलिस ने नीतू दाबोदा को एक एनकाउंटर में मार दिया, उसके बाद नीरज का रास्ता साफ हो गया और उसने दिल्ली का डॉन बनने की ठान ली, लेकिन चालाक नीरज पुलिस से सीधे तौर पर टकराव नहीं चाहता था।

डॉन का 'शौकीन' कनेक्शन

नीरज ने अपने मामा और पूर्व एमएलए रामवीर शौकीन का हाथ थामा। पुलिस के मुताबिक, नीरज ने मामा की चुनावी जमीन तैयार करने के लिए अवैध तरीकों से कमाया गया पैसा जमकर खर्च किया और उसका मामा उसे राजनीतिक संरक्षण देता रहा  और कई बार उसने वारादात के बाद घर में पनाह भी दी। दिल्ली विधान सभा चुनाव से पहले फरवरी 2015 में रामबीर शौकीन की पत्नी को चुनाव में मदद करने के लिए आए नीरज बबाना गैंग के नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

कांट्रेक्ट किलिंग और प्रोटेक्शन मनी का धंधा

मामा का साथ मिला तो नीरज ने अपने गैंग में दर्जनों मेंबर जोड़े। इस दौरान वह दूसरे गैंग के बदमाशों को खत्म करने का काम भी करता रहा। सुपारी लेकर हत्या करना, जबरन वसूली, सट्टा और जुए के धंधे में उसकी तूती बोलने लगी। पश्चिमी, उत्तरी पश्चिमी और बाहरी दिल्ली में उसका ऐसा दबदबा हो गया कि लोग उसकी शिकायत करने से भी कतराने लगे।

इसके बाद वह DSIDC के ऑफिस से भी रंगदारी वसूलता था। रियल स्टेट से भी उसने जमकर पैसा कमाया। साल 2013 में दिल्ली से कांग्रेस MLA जसवंत राणा से भी 50 लाख की फिरौती मांगी, तब राणा ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया और इसे लेकर कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से शिकायत भी की।

पांच राज्यों तक फैला जाल
 
नीरज बवाना धीरे-धीरे दिल्ली से बाहर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में भी अपराध करने लगा। उसके गैंग के लोग जिस राज्य में पकड़े जाते वहां जेल जाते ही दूसरे अपराधियों से दोस्ती गांठकर वहीं से फिरौती का धंधा करने लगे। पिछले साल दिसंबर में उसने बागपत में पेशी के लिए आए अमित उर्फ भूरा को उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी से छुड़ा लिया और पुलिस की दो AK-47 राइफल और एक SLR भी लूट ली। इसके बाद वह कोलकता भाग गया और वहां एक किराए के फ्लैट में रहा। पुलिस ने उसके पास से दो विदेशी पिस्टल बरामद की हैं।

गैंग की धरपकड़

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के स्पेशल कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव की मानें तो पिछले 8 महीनों में 40 से ज्यादा मामलों में वांछित नीरज के गैंग के 35 से ज्यादा अपराधियों को पकड़ा गया और अब उसकी गिरफ्तारी एक बड़ी कामयाबी है। पुलिस के मुताबिक अब उसके मामा और पूर्व एमएलए रामवीर शौकीन के खिलाफ भी कार्यवाई हो सकती है।