भारत पहुंची 2 होवित्जर तोपें, भारत-चीन सीमा पर की जा सकती हैं तैनात

इससे पहले माना जा रहा था कि ये तोपें जून तक ही भारतीय सेना को मिल पाएंगी. पिछले साल 30 नवंबर को भारत ने इन तोपों को खरीदने के लिए अमेरिका के साथ समझौता किया था. 17 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट से इस समझौते को मंजूरी मिली थी.

भारत पहुंची 2 होवित्जर तोपें, भारत-चीन सीमा पर की जा सकती हैं तैनात

खास बातें

  • बोफोर्स सौदे के बाद पहला आर्टिलिरी सौदा
  • पहले जून में आनी थी ये तोपें लेकिन एक महीने पहले ही मिल जाएंगी सेना को
  • 17 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट से इस समझौते को मिली थी मंजूरी
नई दिल्ली:

बोफोर्स तोपों के सौदे के 3 दशक के बाद पहली बार भारतीय सेना में नई तोपें शामिल होने जा रही हैं. 145 एम 777 तोपें सेना में शामिल हो जाएंगी. अमेरिकी कंपनी बीएई से खरीदी जा रही ये आर्टिलिरी समझौते के तहत एक महीने पहले ही भारत लाई गई हैं. इस खेप में अभी दो ही तोपें आई हैं. कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि  भारतीय सेना के तोप खाने को आधुनिक बनाने के लिए वो अमेरिकी सरकार की लगातार मदद कर रहे हैं. कंपनी ने कहा ' अमेरिका के विदेशों में हथियार सप्लाई के लक्ष्य को पूरा करने की कड़ी में हम 145 एम 777 हल्की होवित्जर तोपों को भारतीय सेना के लिए एक महीने पहले ही उपलब्ध करा देंगे.

इससे पहले माना जा रहा था कि ये तोपें जून तक ही भारतीय सेना को मिल पाएंगी. पिछले साल 30 नवंबर को भारत ने इन तोपों को खरीदने के लिए अमेरिका के साथ समझौता किया था. 17 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट से इस समझौते को मंजूरी मिली थी. बताया जा रहा है कि इन तोपों के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद से उसकी ताकत बढ़ जाएगी. खास तौर पर चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर यह सौदा काफी अहम माना जा रहा है. इन तोपों को चीन से सटी पूर्वी सीमा की पहाड़ियों पर तैनात करने के मद्देनजर खरीदा जा रहा है.  


इसके अलावा बीएई के साथ 155एमएम/39 कैविबर गन को लेकर भी समझौता हुआ. इसके तहत करीब कंपनी 145 गन भारत को सौंपेगी जिसमें 25 गन कंपनी सीधे सौंपेगी और बाकी महेंद्रा कंपनी की मदद से भारत में ही बनाई जाएंगी.

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आपको बता दें कि साल 1980 में हुए स्वीडिश कंपनी से बोफोर्स तोपें खरीदी  गई थीं. लेकिन इस सौदे को लेकर काफी विवाद हुआ था और तत्कालीन केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लग गया था. उसके बाद भारतीय सेना के तोपखाने को आधुनिक बनाने के लिए कोई सौदा नहीं किया गया जिसकी काफी समय से जरूरत महसूस की जाती रही है. हालांकि कारगिल युद्ध के समय बोफोर्स तोपों के दम पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को पीछे धकेलने पर मजबूर कर दिया था. 



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)