नई दिल्ली: पहले हैदराबाद फिर जेएनयू और अब इलाहाबाद विश्वविधालय का मुद्दा संसद में गरमाने जा रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष ऋचा सिंह ने आरोप लगाया है कि जानबूझकर उसे अध्यक्ष पद से सरकार की शह पर हटाने की साजिश हो रही है। अब संसद में जेडीयू सहित कई विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर सरकार को घेरने जा रही हैं।
भगवाकरण का विरोध करने पर नामांकन का मुद्दा उठाया
128 साल पुराने विश्वविद्यालय के इतिहास में दूसरी बार महिला अध्यक्ष ऋचा साफ तौर पर कहती हैं कि उसने विश्वविद्यालय में योगी आदित्यनाथ को आने से रोका और यहां चल रहे भगवाकरण का विरोध किया तो उसे सजा के तौर पर नामांकन जैसे मुद्दे को दो साल बाद उठाया जा रहा है। ऋचा कहती है अगर उसे अध्यक्ष पद से हटा दिया जाता है तो छात्र संघ पर पूरी तरह एबीवीपी का कब्जा हो जाएगा। वे इस मसले पर रविवार को जेडीयू के प्रधान सचिव केसी त्यागी से मिलीं। केसी त्यागी ने कहा कि महिला दिवस के मौके पर वे अपने दूसरे सहयोगी दलों के साथ सरकार को घेरेंगे।
जांच के दौरान राय नहीं ली
ऋचा कहती हैं कि विश्वविद्यालय उनके खिलाफ जांच कर रिपोर्ट वाइस चांसलर को सौंप चुका है लेकिन इसमें उनकी राय तक नहीं ली गई। इतना ही नहीं वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पांच चिट्ठियां भी लिख चुकी हैं लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया है। इस बीच विश्वविद्यालय का कहना है कि इस बारे में मंगलवार तक फैसला ले लिया जाएगा।
मोदी सरकार पहले ही हैदराबाद में रोहित बेमुला की खुदकुशी और जेएनयू में कथित देश विरोधी नारों के विवाद से निपट रही है ऐसे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय तीसरा केन्द्रीय विश्वविधालय है जहां से एक नया विवाद उठता दिख रहा है।