पहले जाट आंदोलन और अब डेरा सच्चा सौदा प्रमुख मामला, हर बार नाकाम होती हरियाणा सरकार

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में आए फैसले के बाद पंचकूला समेत हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में हिंसा भड़की हुई है.

पहले जाट आंदोलन और अब डेरा सच्चा सौदा प्रमुख मामला, हर बार नाकाम होती हरियाणा सरकार

पंचकूला से शुरू हुई हिंसा में अब तक 5 लोगों के मारे जाने की ख़बर है

खास बातें

  • पंचकूला CBI कोर्ट ने ठहराया गुरमीत को दुष्कर्म के मामले में दोषी
  • कोर्ट का फैसला आते ही डेरा समर्थकों ने शुरू किया हंगामा
  • फरवरी 2016 में भी जाट आंदोलन की हिंसा में दहक चुका है हरियाणा
नई दिल्ली:

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में आए फैसले के बाद पंचकूला समेत हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में हिंसा भड़की हुई है. खास बात यह है कि डेरा समर्थक पिछले तीन दिनों से सिरसा, चंडीगढ़, पंचकूला समेत अन्य जगहों पर जमा हो रहे थे. फैसले के बाद समर्थक उग्र हो सकते हैं, इस बात की आशंका कोर्ट से लेकर शासन, प्रशासन और यहां तक आम आदमी तक को थी, फिर भी हरियाणा सरकार ने इस आपात स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए. सभी लोग इसे हरियाणा सरकार की नाकामी मान कर चल रहे हैं. जाट आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार की लगातार यह दूसरी नाकामी है. 

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पहले जाट आंदोलन और फिर डेरा सच्चा सौदा मामले में हरियाणा में मचे उपद्रव के बाद क्या जानकार लोग मान कर चल रहे हैं कि हरियाणा सरकार किसी बड़ी घटना का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है. 
बात अगर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में आए फैसले की करें तो इस मुद्दे पर हाईकोर्ट हरियाणा सरकार को दो दिन पहले ही कड़ी फटकार लगा चुकी है कि जब धारा 144 लगी हुई है तो डेरा समर्थक किस तरह जगह-जगह इकट्ठा हुए. इन्हें हटाने के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए. आज उसी की नतीजा है कि दोपहर 2.30 बजे गुरमीत राम रहीम को दोषी करार देते हुए उनके समर्थक बेकाबू हो गए और देखते ही देखते पंचकूला, चंडीगढ़, सिरसा समेत कई जगहों पर तोड़फोड़, आगजनी और उपद्रव होना लगा. शाम 5 बजे तक अगल-अगल जगहों हुई घटनाओं में 5 लोग मारे जा चुके थे, सैक़ड़ों घायल हो गए. 

अगर पूरे घटनाक्रम की तह तक जाएं तो पिछले साल फरवरी में हुए जाट आंदोलन की पुर्नावृत्ति होती दिखाई दे रही है.

जाट आंदोलन-
बता दें कि अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति ने फरवरी में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था. उस समय भी आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़ी तैयारियां की थीं, लेकिन रोहतक में सड़कों पर उतरे आंदोलनकारी कब हिंसक हो गए, सरकार को पता ही नहीं चला और सारे इंतजाम धरे के धरे रह गए. अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति ने 14 फरवरी को रोहतक के सांपला में जाट आरक्षण को लेकर सम्मेलन बुलाया गया. इस सम्मेलन के तुरंत बाद आंदोलनकारियों ने रोहतक-दिल्ली हाइवे को जाम कर दिया. अगले दिन से आंदोलन फैलना शुरू हो गया. आंदोलन की आग में 8 जिले झुलसने लगे. इस हिंसक आंदोलन में 30 से अधिक लोगों की मौत हुई. कई महिलाओं के साथ दुराचार की भी ख़बरें आईं और करोड़ों की सरकारी तथा निजी संपत्ति स्वाह हो गई. 

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डेरा समर्थकों ने बनाया मीडिया को अपने गुस्से का शिकार
डेरा समर्थकों ने पंचकूला में मीडिया की वैन्स में तोड़फोड़ की. अदालती फैसले के बाद समर्थकों को गुस्सा का खामियाजा पत्रकारों को झेलना पड़ा है. एनडीटीवी के एक ओबी इंजीनियर पर हमला किया गया जिससे उन्हें चोट लग गई. खबर लिखे जाने तक उन्हें खून भी निकल रहा था.
 

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समर्थक लगातार नारे लगा रहे हैं और जोर जोर से चिल्ला रहे हैं. गुस्साए डेरा समर्थकों की भीड़ ने कोर्ट परिसर की तरफ रूख किया. इसके अलावा कई जगह  पुलिस पोस्ट छोड़कर भागती दिखी. गौरतलब है कि पंथ के अनुयायियों के शहर में पहुंचने के बाद किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए यहां सुरक्षा ज्यादा कड़ी कर दी गई है. 

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वीडियो- पंचकूला में एकत्र बाबा राम रहीम के समर्थक वापस जाने को तैयार नहीं...

 

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