राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो सके, इसके लिए विपक्ष एकजुट हो रहा है और इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहा है. तीन तलाक बिल पर कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के सुर भी एक हैं. दोनों पार्टियों का कहना है कि बिल को राज्यसभा में पारित कराने से पहले बिल को ज्वांइट सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. बता दें कि किसी मसले पर जब भी राजनीतिक सहमति बनानी होती है तो ऐसे में उसे ज्वांइट सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाता है.
राज्यसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी हो चुकी है, लेकिन बहुमत में नहीं है.
- राज्यसभा के मौजूदा सांसद - 244
- बीजेपी के पास सांसद - 73
- सहयोगियों में जेडीयू के सांसद - 6
- अकाली दल के सांसद - 3
- शिवसेना के सांसद - 3
- कुछ छोटे दलों के समर्थक सांसद - 3
- नामांकित और निर्दलीय साथ आ सकने वाले सांसद- 9
- सदन में कुल 244 में से कुल 98 सांसदों का समर्थन
बिल के खिलाफ पार्टियां ज्यादा ताकतवर और लामबंद होती दिख रहीं
- कांग्रेस के सांसद - 50
- टीएमसी के सांसद- 13
- एआईडीएमके के सांसद- 13
- समाजवादी पार्टी के सांसद- 13
- लेफ्ट फ्रंट के सांसद - 7
- टीडीपी के सांसद- 6
- टीआरएस के सांसद - 6
- आरजेडी के सांसद- 5
- बीएसपी के सांसद- 4
- डीएमके के सांसद- 4
- बीजू जनता दल के सांसद- 9
- आम आदमी पार्टी के सांसद- 3
- पीडीपी के सांसद- 2
इनके अलावा भी कई सांसद सरकार के साथ नहीं हैं. यानी सरकार के पास यहां बहुमत नहीं है. जबकि विपक्ष बिल में संशोधन पर अड़ा हुआ है.
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कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने एनडीटीवी से कहा कि ट्रिपल तलाक बिल में सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए. सिविल लॉ को क्रिमिनल लॉ बना रहे हैं. जब समुदाय को स्वीकार नहीं है तो बिल उन पर क्यों थोपा जा रहा है. हम मांग करते हैं कि बिल को ज्वाईंट सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए.
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वहीं, इस मसले पर समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस के सुर में सुल मिला रही है. समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि हम चाहते हैं कि ट्रिपल तलाक बिल से तीन साल की सजा का प्रावधान हटाया जाए. तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेज देना चाहिए, ताकि कमियों को दूर किया जा सके.
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बीजेपी की ओर से विजय गोयल ने एनडीटीवी से कहा कि अभी तीन तलाक बिल को ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजने की कोई जरूरत नहीं है. हम राज्यसभा में सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील करते हैं कि वो बिल का समर्थन करें. वहीं, बीजेडी नेता प्रसन्ना पटसानी का कहना है कि यह एक संवेदनशील बिल है. इस पर सभी राजनीतिक पार्टियों में आम सहमति बनाकर ही सरकार को आगे बढ़ना चाहिए.
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इतना ही नहीं, एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध घोषित करने के प्रावधान का विरोध करते हुये आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि वह इससे जुड़े मुस्लिम महिला अधिकार संरक्षण विधेयक का उच्च सदन में समर्थन नहीं करेगी. राज्यसभा में आप के नेता संजय सिंह ने शुक्रवार को बताया कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से निजात दिलाने के नाम पर मुस्लिम समाज के लोगों को डराने के लिये लाए गए इस विधेयक का पार्टी विरोध करेगी.
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विपक्ष के तरफ से पहला संकेत कि वह राज्यसभा में बिल पारित नहीं होने देगा. बता दें कि यह विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया और अब इसे उच्च सदन में लाया जायेगा. राज्यसभा में इस बिल को पास कराना मोदी सरकार के लिए इसलिए भी आसान नहीं है, क्योंकि राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है. उम्मीद की जा रही है कि यह विधेयक अगले सप्ताह उच्च सदन में लाया जा सकता है.
VIDEO: लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक़ बिल