लेखकों, कलाकारों के बाद अब फिल्मकारों ने शुरू किया पुरस्कार लौटाने का सिलसिला

लेखकों, कलाकारों के बाद अब फिल्मकारों ने शुरू किया पुरस्कार लौटाने का सिलसिला

पुरस्कार लौटाने की घोषणा करते फिल्मकार

नई दिल्ली:

लेखक, कलाकारों और वैज्ञानिकों के बाद अब फिल्मकारों ने सरकार से नारजागी जताते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है। अब तक कुल 10 फिल्मकारों ने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इन फिल्मकारों का कहना है कि वे यह पुरस्कार सरकार को लौटा रहे हैं क्योंकि वे देश में बढ़ रहे असहिष्णु माहौल से नाराज हैं और वह पुणे के एफटीआईआई संस्थान के छात्रों के विरोध में अपनी आवाज जोड़ना चाहते हैं। इस बीच, आज ही पुणे के एफटीआईआई के छात्रों ने 139 दिनों से चला आ रहा प्रदर्शन वापस ले लिया, लेकिन साथ ही कहा कि वे विरोध जारी रखेंगे।

राष्ट्रीय पुरस्कार वापस करने वाले फिल्मकारों में दिबाकर बनर्जी, हर्षवर्धन कुलकर्णी, आनंद पटवर्धन, निष्टा जैन, राकेश शर्मा आदि शामिल हैं। फिल्म एडिटर कीर्ति नखवा ने भी अपना विरोध दर्ज करवाया है। कुछ फिल्मकारों ने आज मीडिया से बात करते हुए अपना विरोध सार्वजनिक किया तो वहीं कुछ लोगों के एक दो दिन में ऐसा करने की बात कही जा रही है।

देश में हिंसा बढ़ी है
मीडिया से बात करते हुए फिल्मकार बनर्जी ने कहा कि हम कुछ समय से ऐसा करने के बारे में सोच रहे थे क्योंकि सरकार की ओर से एफटीआईआई छात्रों के प्रदर्शन पर कोई पहल नहीं दिखाई दे रही थी। वहीं, दूसरी तरफ देश में हिंसा बढ़ी है और भगवाकरण की कोशिशें हो रही हैं। मौके पर मौजूद फिल्मकार आनंद पटवर्धन ने कहा कि वह तमाम मौकों पर मिले गोल्ड मेडल और तमाम सर्टिफिकेट को लौटा देंगे।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम लिखा संदेश
देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम लिखे संदेश में इन फिल्मकारों ने बुद्धिजीवियों की हत्या जैसे डॉ नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसारे और एमएम कलबुर्गी की हत्याओं के मामले का भी जिक्र किया। इन लोगों का आरोप है कि यह कोई इत्तेफाक नहीं है कि एक के बाद एक बुद्धिजीवी की हत्या हो रही है। इन लोगों की हत्या उनके विचार और विश्वास के चलते की गई। इनका कहना है कि इस हत्याओं के पीछे छिपे संगठनों के हाथ को सरकार सार्वजनिक नहीं कर पाई है।

देश में लोकतंत्र की नींव यानि सहिष्णुता के व्यवहार को चोट पहुंची
इन फिल्मकारों का आरोप है कि सरकार की ओर से इन हत्याओं के खिलाफ कोई वक्तव्य नहीं दिया गया। दिल्ली से सटे दादरी में मोहम्मद इखलाख की हत्या ने भी देश में लोकतंत्र की नींव यानि सहिष्णुता के व्यवहार को चोट पहुंचाई है। अब यह बात सामने आई है कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल के नेताओं उस दल का नेतृत्व कर रहे थे जिन्होंने इखलाक को मौत के घाट उतारा।

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राष्ट्रपति और पीएम को लिखे इस संदेश में दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन, परेश कामदा, निष्ठा जैन, कीर्ति नखवा, हर्षवर्धन कुलकर्णी, हरि नायर, राकेश शर्मा, इंद्रानील लाहिरी और लिपिका सिंह दराई शामिल हैं।