यह ख़बर 13 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

अफजल की दया याचिका पर फैसला राष्ट्रपति को करना है : केन्द्र

खास बातें

  • सरकार ने कहा कि अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति के पास है और राष्ट्रपति भवन को इस बारे में फैसला करना है।
नई दिल्ली:

संसद पर हमले के दस वर्ष गुजरने के बाद इस मामले में दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी की सजा पर अमल नहीं करने पर विपक्ष के निशाने पर आई सरकार ने मंगलवार को कहा कि अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति के पास है और राष्ट्रपति भवन को इस बारे में फैसला करना है। गौरतलब है कि गुरू को 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले के सिलसिले में अदालत से सजा ए मौत मिली है। केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, मामला राष्ट्रपति के पास है और वही इस बारे में फैसला करेंगी। गृह मंत्रालय ने अफजल गुरू का मामला राष्ट्रपति सचिवालय को 27 जुलाई 2011 को भेजा था और सिफारिश की थी कि उसकी दया याचिका को नामंजूर किया जाना चाहिए। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, उच्चतम न्यायालय के सजा की पुष्टि किए जाने के बावजूद वह व्यक्ति (अफजल गुरु) अभी भी जेल में ही है। देश जानना चहता है कि संसद पर हमले के दोषियों को दंडित करने में हम क्यों हिचक रहे हैं। संसद भवन परिसर में इस घटना के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने कहा, हम प्रत्येक वर्ष यहां हमले के दौरान मारे गए लोगों को याद करने के लिए आते हैं। इस विषय के दो पहलू हैं, एक मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देना और दूसरा हमले की साजिश रचने वाले को उच्चतम न्यायालय की ओर से दी गई सजा पर अमल करना।


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