किसानों का केंद्र सरकार को दो टूक- 'मांगें मान लो, नहीं तो गणतंत्र दिवस पर निकालेंगे ट्रैक्टर परेड', गवर्नर हाउस को भी बनाएंगे निशाना

इसके अलावा किसानों ने कहा है कि 23 जनवरी को, यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सभी राज्यपालों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

किसानों का केंद्र सरकार को दो टूक- 'मांगें मान लो, नहीं तो गणतंत्र दिवस पर निकालेंगे ट्रैक्टर परेड', गवर्नर हाउस को भी बनाएंगे निशाना

Farmers Agitation: किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की धमकी दी है.

खास बातें

  • किसानों का केंद्र सरकार को अल्टीमेटम, मांगें नहीं मानी तो तेज होगा आंदोलन
  • गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की धमकी
  • 4 जनवरी को किसानों संग होनी है सातवें दौर की बातचीत
नई दिल्ली:

दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर तीनों नए कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की धमकी दी है. इसके अलावा किसानों ने कहा है कि 23 जनवरी को, यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सभी राज्यपालों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

किसान आंदोलन (Farmers Protest) का समन्वय कर रही 7 सदस्यीय समन्वय समिति ने आज राष्ट्रीय राजधानी में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ "किसान गणतंत्र परेड" करेंगे. किसान नेताओं ने यह स्पष्ट किया की यह परेड गणतंत्र दिवस की आधिकारिक परेड की समाप्ति के बाद होगी.

किसान प्रतिनिधियों ने कहा, "हमने सरकार को पहले दिन ही बता दिया था कि हम तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराए बिना यहां से हटने वाले नहीं हैं. ऐसे में  सरकार के पास दो ही रास्ते हैं: या तो वह जल्द से जल्द इस बिन मांगी सौगात को वापस ले और किसानों को एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी दे, या फिर किसानों पर लाठी-गोली चलाए."

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किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, "हम अब आर पार की लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ पर आ पहुंचे हैं.  26 जनवरी तक हमारे दिल्ली में डेरा डालने के दो महीने पूरे हो जाएंगे. हमने इस निर्णायक कदम के लिए गणतंत्र दिवस को चुना क्योंकि यह दिन हमारे देश में गण यानी बहुसंख्यक किसानों की सर्वोच्च सत्ता का प्रतीक है."

इस अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अब से गणतंत्र दिवस तक आंदोलन को तेज और व्यापक बनाने के अनेक कार्यक्रमों की घोषणा की. इस आंदोलन को पूरे देश में गति देने के लिए 6 जनवरी से 20 जनवरी तक सरकारी झूठ और दुष्प्रचार का भंडाफोड़ करने के लिए "देश जागृति पखवाड़ा" मनाया जाएगा. इस पखवाड़े में देश के हर जिले में धरने और पक्के मोर्चे आयोजित किए जाएंगे. किसानों में और बाकि जनता में जागृति लाने के लिए अनेक स्थानों पर रैलियां और सम्मेलन आयोजित होंगे.

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किसानों और सरकार के बीच 4 जनवरी को अगले दौर की बातचीत होनी है. किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार से 4 जनवरी की वार्ता विफल रहती है तो 6 जनवरी को किसान केएमपी एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालेंगे. उसके बाद शाहजहांपुर पर मोर्चा लगाए किसान भी दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. 13 जनवरी को लोहड़ी/ संक्रांति के अवसर पर देशभर में "किसान संकल्प दिवस" बनाया जाएगा और इन तीनों कानूनों को जलाया जाएगा.

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किसान नेताओं ने कहा कि 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मना कर देश की खेती में महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया जाएगा. 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की याद में "आजाद हिंद किसान दिवस" मनाकर सभी राजधानियों में राज्यपाल के निवास के बाहर किसान डेरा डालेंगे.

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