5 जुलाई को राहुल गांधी ने हफिंगटन पोस्ट के लेख का हवाला देते हुए सरकार पर घटिया वेंटिलेटर्स खरीदने का आरोप लगाया था.
नई दिल्ली: वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनी एग्वा (AgVa)हेल्थकेयर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा है कि वह कोई डॉक्टर नहीं हैं और 'हमें खुशी होगी की हम उन्हें प्रोडक्ट का एक डेमोस्ट्रेशन दें. कोरोनोवायरस के प्रकोप से निपटने के लिए खरीदे गए वेंटिलेटर में से कुछ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "सेल्फ-रिलायंट इंडिया" पहल के अनुसार, PMCares फंड के माध्यम से स्वदेशी निर्माता AgVa से खरीदा गया है.
दरअसल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पहले से ही कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार पर अपना हमला जारी रखे हुए है. 5 जुलाई को राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार पर सब स्टैंडर्ड प्रोडक्ट यानि घटिया माल खरीदने का आरोप लगाया था "#PMCares अपारदर्शिता है. 1. भारतीयों के जीवन को जोखिम में डालना 2. यह सुनिश्चित करना कि जनता का पैसा घटिया माल खरीदने में लगाया जाए.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक AgVa हेल्थकेयर के सह-संस्थापक प्रोफेसर दिवाकर वैश्य ने कहा, “राहुल गांधी डॉक्टर नहीं हैं. वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है. उन्हें इस तरह के आरोप लगाने से पहले उचित परिश्रम करना चाहिए था. उन्हें डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए थी. मैं किसी भी मरीज पर अस्पताल में एक विस्तृत डेमो देने के लिए तैयार हूं. "
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में हफिंगटन पोस्ट की एक न्यूज रिपोर्ट को भी अपने ट्वीट के साथ टैग किया था. इस पोस्ट में लिखा था. पीएम केयर वेंटिलेटर मेकर एग्वा ने खराब प्रदर्शन को छिपाने के लिए फर्जी सॉफ्टवेयर लगाया है, एक पूर्व कर्मचारी ने ऐसा बताया है. हफिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि डॉक्टरों ने कहा है कि ये वेंटिलेटर कोरोनावायरस के इलाज के लिए डिज़ाइन किए गए और संशोधित किए गए हैं, लेकिन यह हाई एंड वेंटिलेटर्स का विकल्प नहीं है.
इन आरोपों पर डॉक्टर वैश्य ने कहा, 'यह विदेशी उत्पादक संघों को होने वाली परेशानी का नतीजा है जो कि भारत में हाई एंड वेंटिलेटर की आपूर्ति करते है'
“इसमें, अंतर्राष्ट्रीय विक्रेताओं की सांठगांठ बहुत मजबूत है. ठीक उसी तरह जब भारतीय सैन्य उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया था, बहुत सारी नकारात्मक समीक्षाएं थीं. यहां भी वही हो रहा है. 10 लाख रुपये का वेंटिलेटर जो करता है, हमारा डेढ़ लाख रुपये का वही काम करता है. क्या अंतर्राष्ट्रीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय विक्रेता इसे स्वीकार करेंगे? इसलिए वे काम बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, "
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