यह ख़बर 16 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

वायुसेना, विशेषज्ञों ने मलेशियाई विमान का उपयोग 9/11 जैसे हमले में प्रयोग की आशंका को खारिज किया

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

मलेशिया के लापता विमान का अपहरण किए जाने और इसका इस्तेमाल भारत पर 9/11 की तरह का हमला करने की आशंका को भारतीय वायु सेना और सामरिक विशेषज्ञों ने खारिज कर दिया है और कहा कि अगर यह भारतीय वायु सीमा क्षेत्र में प्रवेश किया होता तो इसका निश्चित रूप से पता चलता।

भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जिन इलाकों में इसके होने की आशंका है वहां भारत का बहुस्तरीय रडार कवरेज है और इसका पता अवश्य चलता।

एक हफ्ते से ज्यादा समय से लापता विमान से भारत को 11 सितम्बर 2001 की तरह न्यूयॉर्क पर हमले की तरह निशाना बनाए जाने की आशंका अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री स्ट्रोब टालबोट ने जताई।

उन्होंने ट्विट किया, 'दिशा, ईंधन और रेंज से पता चलता है कि कुछ संदिग्ध अपहरणकर्ताओं द्वारा भारत के किसी शहर पर 9/11 की तरह हमला करने की आशंका है।' इस तरह की संभावना को खारिज करते हुए भारतीय वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी हमले में विमान एक शहर से दूसरे शहर की तरफ जा रहे थे और हमला करने के लिए उन्होंने तुरंत अपनी दिशा बदल डाली।

उन्होंने कहा, 'इस मामले में विमान को भारत पर हमला करने से पहले कई घंटे तक बिना पता लगे चलना होगा और देश के पूर्वोत्तर एवं पश्चिमी सेक्टर में व्यापक रडार कवरेज के कारण ऐसा असंभव होगा।'

अगर कोई इस तरह के विमान का पता चलता है तो भारतीय वायुसेना की मानक संचालन प्रक्रिया है।

वायुसेना के अधिकारी ने कहा, 'अगर विमान ने खुद की पहचान उजागर नहीं की तो इसको घेरा जाता है और हमारे निर्देशों का पालन करने को कहा जाता है। अगर यह निर्देशों का पालन नहीं करता तो इसको नष्ट भी किया जा सकता है क्योंकि आप इसकी मंशाओं को नहीं जानते और यह बमबारी या अन्य तरह के हमले कर सकता है।'

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सीमा के नजदीक एक घटना का उदाहरण दिया जब मौसमी बैलून भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे और पंजाब के हवाई अड्डे से एसयू-30 एमकेआई विमानों को उनकी पहचान के लिए रवाना किया गया था। सेना ने कहा कि महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर 9/11 की तरह के हमले के लिए वह तैयार है और उन्हें हवाई रक्षा प्रणाली के तहत सुरक्षा में रखा गया है।

इन प्रतिष्ठानों में परमाणु रिएक्टर और संयंत्र, महत्वपूर्ण भवन और परियोजनाएं शामिल हैं।

भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने कहा कि अंडमान-निकोबार प्रायद्वीप पर निगरानी रखने के लिए सुरक्षा बल के पास रडारों की शृंखला मौजूद है।

उन्होंने कहा, 'अगर विमान उस इलाके में होता तो हमारे रडारों ने उसका पता लगा लिया होता।' भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल पीवी नाईक ने इस संभावना को खारिज कर दिया कि विमान का इस्तेमाल भारत को 9/11 की तरह निशाना बनाने में हो सकता है।

उन्होंने कहा, 'रिपोर्ट के मुताबिक विमान 35 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ रहा था और उस ऊंचाई पर पता नहीं चलना काफी कठिन है। यह कठिन है क्योंकि आपको उपयुक्त योजना बनाने की जरूरत होती है और उस ऊंचाई पर उड़ते हुए आप इस तरह का कोई काम नहीं कर सकते।'

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वेस्टर्न एयर कमांडर के पूर्व एयर मार्शल एके सिंह ने भी कहा कि विमान बिना पता चले भारत नहीं आ सकता।

उन्होंने कहा, 'विमान भारत के मुख्य भाग से गुजरा होगा और उसका पता नहीं चले यह काफी कठिन है। इससे हमला होने की संभावना भी काफी कठिन है क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक वह ऊंचाई पर उड़ रहा था।'