पार्टी से निकाले जाने के बाद आज एक बार फिर अखिलेश यादव सपा सुप्रीमो से मिलने पहुंचे
सपा में टिकट बंटवारे को लेकर टकराव इतना बढ़ गया है कि पिता मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को छह साल के लिए पार्टी से ही निकाल दिया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज विधायकों की बैठक बुलाकर बुलाई. उसमें बड़ी संख्या में विधायकों की उपस्थिति के बाद माना जा रहा है कि विधायकों का बहुमत अखिलेश के साथ है. ऐसे में सबके मन में सवाल उठ रहे हैं कि आगे की लड़ाई आगे कौन सा रुख अख्तियार करेगी. इन परिस्थितियों में अखिलेश के समक्ष मोटे तौर पर पांच विकल्प दिख रहे हैं :
1. नई पार्टी का गठन
अखिलेश सीएम पद से इस्तीफा देकर नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. जानकारों का मानना है कि अखिलेश पार्टी तो बना सकते हैं पर उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. अब समय बहुत कम बचा है क्योंकि निर्वाचन आयोग अगले हफ्ते चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. तो अखिलेश की पार्टी को सिंबल मिल पाना संभव नहीं होगा.
2. अपने करीबियों को निर्दलीय चुनाव लड़ा सकते हैं अखिलेश
एक स्थिति यह भी बन रही है कि अखिलेश अपने तमाम लोगों को चुनाव मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने को कहें. अखिलेश अपने उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं. लेकिन इससे अखिलेश को उतना फायदा नहीं मिलेगा. कारण यह है कि निर्दलीय उम्मीदवार अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ेंगे और तमाम दूसरे निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच उनकी पहचान बन पाना मुश्किल है. ऐसे में ज्यादातर उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ सकता है.
3. सजपा के सहारे चुनावी दंगल में उतर सकते हैं
अखिलेश के पास पार्टी बनाने का समय नहीं है. ऐसे में वह समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते हैं. इससे उनके सामने चुनाव आयोग से अलग चिन्ह लेने का झंझट भी नहीं रहेगा. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सजपा के अध्यक्ष कमल मुरारका ने अखिलेश को पार्टी और सिंबल सौंपने की पेशकश की है. खबरों के मुताबिक,मुरारका ने कुछ दिन पहले दिल्ली में रामगोपाल से भी मुलाकात की थी. वे दो दिन से लखनऊ में थे.
4. कांग्रेस-आरएलडी से गठबंधन कर सकते हैं अखिलेश
पिछले कुछ दिनों से अखिलेश यादव लगातार गठबंधन बनाए जाने की वकालत कर रहे थे. अखिलेश ने हाल ही में खुलकर कांग्रेस से गठबंधन की बात कही थी. बकौल अखिलेश अगर कांग्रेस से गठबंधन हुआ तो हम 300 से ज्यादा सीटें जीतेंगे. इतना ही नहीं अखिलेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और यूपी में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ कई बैठक कर चुके हैं. वहीं सपा में बदले हालात में कांग्रेस खुलकर अखिलेश यादव के समर्थन में आ गई है. आरएलडी ने भी अखिलेश को पूरा समर्थन देने की बात कही है.
5. फिर हो सकता अखिलेश-मुलायम में समझौता
एक संभावना यह भी बन रही है कि मुलायम बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल को फिर समझा लें. ऐसा इसलिए लग रहा है क्योंकि आज फिर मुलायम और अखिलेश की फिर से बैठक हो रही है. शिवपाल को भी बाद में उस बैठक में बुलाया गया है. आजम खान और अबु आजमी के साथ अखिलेश सपा सुप्रीमो के घर पर पहुंचे हैं. हालांकि समझौते की गुंजाइश तभी संभव है जब मुलायम टिकटों के संबंध में जारी सूची में संशोधन के लिए तैयार हों क्योंकि नई लिस्ट में अखिलेश के समर्थकों को पर्याप्त रूप से जगह मिल सकती है. सपा में फिर से झगड़ा भी टिकटों के बंटवारे पर जारी हुई मुलायम की सूची को लेकर शुरू हुआ है. इसमें शिवपाल समर्थकों को तो अपेक्षित जगह दी गई लेकिन कई अखिलेश समर्थकों का पत्ता काट दिया गया.