राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से सटे 500 मीटर के दायरे में अब नहीं बिकेगी शराब

राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से सटे 500 मीटर के दायरे में अब नहीं बिकेगी शराब

राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानों पर रोक हटाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है.

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रैल से रोक के आदेश में संशोधन से किया इनकार
  • 20 हजार से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में सीमा घटाकर 220 मीटर की गई
  • दो राज्यों मेघालय और सिक्किम को नियम में छूट दी गई
नई दिल्ली:

राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से सटे 500 मीटर तक के इलाके में शनिवार से शराब नहीं बिक सकेगी. शराब की दुकानों पर एक अप्रैल से रोक के आदेश में संशोधन से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. हाईवे के किनारे स्थित शराब दुकानों ही नहीं बार और रेस्तरां में भी शराब नहीं बेची जा सकेगी. हालांकि किसी स्थानीय निकाय क्षेत्र से गुजरने वाले हाईवे पर, जहां 20 हजार से कम जनसंख्या है, वहां यह सीमा 500 से घटाकर 220 मीटर की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 15 दिसंबर के आदेश में कुछ संशोधन किए हैं. इसके मुताबिक जिन राज्यों में शराब के लाइसेंस 15 दिसंबर से पहले दिए गए और जिन दुकानों की अवधि 31 मार्च के बाद तक है, वे चल सकेंगी. लेकिन 30 सितंबर को यह दुकानें भी बंद करनी होंगी. यह व्यवस्था तेलंगाना और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के लिए है. मेघालय और सिक्किम को इस नियम में छूट दी गई है.

राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से 500 मीटर दूर तक शराब की दुकानों पर रोक जारी रहेगी या नहीं,  अप्रैल की डेडलाइन बढ़ेगी या नहीं? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट को यह भी तय करना था कि यह आदेश हाईवे के किनारे स्थित बार- रेस्तरां पर भी लागू होगा या नहीं. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की संशोधन करने की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा था कि सोचिए कि किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में जान चली जाती है तो उसके परिवार पर क्या बीतती है. खास तौर पर मरने वाला व्यक्ति यदि परिवार के लिए रोटी कमाने वाला इकलौता जरिया हो. तमिलनाडु और तेलंगाना की ओर से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक नेशनल और स्टेट हाईवे के किनारे शराब की दुकानें एक अप्रैल से बंद हो जाएंगी. लेकिन स्टेट हाइवे कई शहरों के बीच से होकर गुजरते हैं. अगर दुकानें बंद होंगी तो एक तरह से शराबबंदी हो जाएगी. जबकि देश में शराब बेचना गैरकानूनी नहीं है.

मामले में जनहित याचिका पंजाब और तमिलनाडु के लिए दाखिल की गई थी लेकिन आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिए गए. हर प्रदेश के अलग-अलग हालात हैं. अगर पहाड़ी इलाकों में इस नियम का पालन करेंगे तो 500 मीटर में तो पहाड़ आ जाएगा. इसी तरह गोवा जैसे समुद्री इलाकों में 500 मीटर में समुद्र आ जाएगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का पालन करना मुश्किल हो जाएगा.

दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था कि राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं उनके खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी. शराब की दुकानों के लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं होगा. नए लाइसेंस जारी नहीं होंगे. सभी राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह फैसला लागू होगा. इसके साथ ही राजमार्गों के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड हटाए जाएंगे. राज्यों के चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की निगरानी करेंगे.

उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्‍ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे सकती है.


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