निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली की फांसी की सज़ा उम्रकैद में बदली

निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली (फाइल फोटो)

इलाहाबाद:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दया याचिका पर फैसला करने में 'अत्यधिक देरी' के आधार पर वर्ष 2006 के निठारी मामले के दोषी सुरेंद्र कोली की मौत की सजा घटाकर उम्रकैद में तब्दील कर दी।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि कोली की दया याचिका पर फैसले में 'अत्यधिक देरी को देखते हुए' उसकी मौत की सजा पर अमल 'असंवैधानिक' होगा।

अदालत ने गैर-सरकारी संगठन 'पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स' (पीयूडीआर) की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस संगठन ने दलील दी थी कि कोली की दया याचिका के निबटारे में तीन साल और तीन महीने का समय लगा और ऐसी स्थिति में उसकी मौत की सजा पर अमल संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन होगा।

बाद में कोली ने खुद भी एक याचिका दायर कर इस जनहित याचिका में दिए गए आधार पर ही मौत की सजा को चुनौती दी थी और इस दोनों याचिकाओं को नत्थी कर दिया गया था।

गाजियाबाद की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 13 फरवरी, 2009 को कोली को मौत की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोली की फैसला वापस लेने के अनुरोध वाली अंतिम याचिका खारिज करने के तीन दिन बाद यह जनहित याचिका दायर हुई थी। निचली अदालत ने 2 सितंबर को मौत का वारंट जारी करके कोली की फांसी के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोली की अंतिम याचिका पर सुनवाई के निर्णय के मद्देनजर उसकी फांसी के अमल पर रोक लगा दी गई थी।

अंतिम याचिका खारिज होने से मौत की सजा पर अमल का रास्ता साफ हो गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई का निर्णय करते हुए 31 अक्टूबर को सजा के अमल पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट द्वारा 11 सितंबर, 2009 को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उसकी अपील खारिज करने और सह-आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी करने के बाद, कोली ने सुप्रीम कोर्ट में दोषसिद्धि को चुनौती दी थी, लेकिन 15 फरवरी, 2011 को उसकी याचिका खारिज हो गई थी।

इसके बाद कोली ने 7 मई, 2011 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के सामने दया याचिका दायर की, जिसे 23 महीने बाद 2 अप्रैल, 2013 को खारिज कर दिया गया। बाद में कोली की दया याचिका 19 जुलाई 2013 को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई और राष्ट्रपति ने 20 जुलाई, 2014 को इसे खारिज कर दिया था।

पुलिस द्वारा नोएडा के एक घर के बाहर नाले में लापता लड़कियों के कंकाल बरामद होने के बाद पंढेर और उसके घरेलू सहायक कोली को 29 दिसंबर, 2006 को गिरफ्तार किया गया था। कोली ने कई लड़कियों की हत्या करके उनके शरीर को टुकड़े-टुकडे करके घर के पीछे और नाले में फेंका था।

(इनपुट एजेंसियों से भी)


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