आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ यात्रा, सभी के लिए फिर होगी अग्नि परीक्षा!

अमरनाथ यात्रा एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर है, ऐसे इंटेलिजेंस इनपुट मिलने के बाद सुरक्षाबलों की नींद उड़ी है। इस बार भी यात्रा को सफल बनाने में लगी सभी एजेंसियों के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने जा रही है।

इसकी खास वजह है हाल के दिनों में जहां कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं वहीं इसको लेकर हुर्रियत कांफ्रेस और आतंकी गुटों के बीच अलग-अलग सुर सुनाई देने लगे हैं। सुरक्षा बलों को आशंका है कि यात्रा को नुकसान पहुचाने के लिए आतंकी गुट भरसक कोशिश करेंगे।

अमरनाथ यात्रा के शुरू होने में 21 दिन का समय बचा है लिहाजा सुरक्षाबल कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते। इसलिए अपनी तैयारियों को दुरुस्त करने में लगे हैं। वैसे अब तक का इतिहास रहा है कि आतंकी हमलों को बावजूद यात्रा में भाग लने वाले घबराए नहीं हैं। पिछले करीब सात सालों से आतंकी अमरनाथ यात्रा को निशाना बना बीसियों लोगों की हत्याएं करने में कामयाब रहे हैं। ऐसी भी रिपोर्ट है कि आईएसआई राज्य में हाहाकर मचाना चाहती है और वह कुछ ऐसा अंजाम देने की कोशिशों में हैं, जिससे भारत का गुस्सा और भड़के तथा सब्र का बांध टूट जाए और इसके लिए अमरनाथ यात्रा से अच्छा कोई अवसर उन्हें नहीं मिल सकता।

सरकारी तौर पर इस बार पांच लाख से अधिक लोगों को यात्रा में शामिल होने की अनुमति देने की बात कही गई है, तो पहले का अनुभव यही रहा है कि शामिल होने वालों की संख्या 4-5 लाख के आंकड़े को हर बार पार कर जाती है।

सुरक्षाबल कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे, इसलिए एक माह पूर्व सभी तैयारियां आरंभ तो की गई थीं परंतु मौसम की गड़बड़ियों ने उन पर पानी फेर दिया। नतीजतन उन क्षेत्रों की साफ सफाई, उन्हें बारूदी सुरंगों तथा आतंकवादियों से मुक्त करवाने का अभियान अधबीच में ही है। स्थिति यह है कि सेनाधिकारियों के रहस्योदघाटन के बाद यात्रियों की सुरक्षा कैसे होगी कोई नहीं जानता है और सब भोलनाथ पर छोड़ दिया गया है।

सुरक्षा बल मानते है कि शांति की बयार के बावजूद अमरनाथ यात्रा पर इस बार सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है। हालांकि यह अब कड़वी सच्चाई बन गई है कि तमाम सुरक्षा प्रबंधों को धत्ता बताते हुए आतंकी अमरनाथ यात्रा को हर साल भारी क्षति पहुंचाने में कामयाब रहते हैं। नतीजतन इस बार सुरक्षाधिकारियों की चिंता दोगुनी है। पहली वजह ये है कि 45 किमी लम्बे दुर्गम और पहाड़ी यात्रा मार्ग पर शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं को सुरक्षा कैसे प्रदान की जाएगी तो दूसरा कारण आतंकवादी अपनी मौजूदगी को दिखाने तथा सीजफायर से परेशान माहौल को बिगाड़ने की खातिर कुछ बड़ा कर दिखाने की फिराक में हैं।

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2 जुलाई से शुरू होने वाले यात्रा में सुरक्षाबल कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे, बावजूद कोई ये दावा नहीं कर सकता कि इस बार आतंकियों के नापाक मंसूबे कामयाब नहीं होंगे, लिहाजा सबकुछ  भोलनाथ पर छोड़ दिया गया है।