यह ख़बर 11 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

खराब मानसून की आशंका के बीच दालों और आलू-प्याज की कीमतों की भारी उछाल

नई दिल्ली:

महंगाई पर काबू पाने के तमाम सरकारी दावों के बीच हकीकत कुछ और है। दालों और आलू−प्याज के दाम बीते 10−15 दिन में 5 से 35 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। नासिक से दिल्ली आया प्याज़ 30 फीसदी से ज़्यादा महंगा हो चुका है। वहीं दालें भी महंगी हुई हैं। एक हफ्ते में दालों की क़ीमतें 5 से 10 रुपये किलो के हिसाब से बढ़ गई हैं। कारोबारी बता रहे हैं कि कमज़ोर मॉनसून की वजह से दाम पर क़ाबू पाना और मुश्किल होगा। यानी सरकार को अभी ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

जिस महंगाई को एक बड़ा मुद्दा बनाकर मोदी सरकार सत्ता में आई है, वही अब उसके सामने चुनौती की तरह खड़ी है। मॉनसून कमज़ोर होने की सूचना के फौरन बाद नई ख़बर यह है कि कई तरह की दालें और सब्ज़ियां महंगी होने लगी हैं। बीते दो हफ़्तों में मसूर दाल के दाम 60 से बढ़कर 70 रुपये हो गई यानी 16 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी। वहीं मूंग दाल 80 रुपये प्रति किलो से 90 रुपये हो गई है, यानी 12 फ़ीसदी से कुछ ऊपर की बढ़ोतरी और उड़द दाल 80 प्रति किलोग्राम से ब85 रुपये हो गई है यानी 6 फीसदी ज्यादा।

जो हाल दालों का है, वही आलू−प्याज का भी। दिल्ली की ओखला मंडी में नासिक से आ रहा प्याज एक हफ़्ते पहले 15 से 16 रुपये किलो बिक रहा था, जो अब 20 से 22 रुपये किलो हो गया है। यानी दामों में 30 फीसदी से ज़्यादा की बढ़ोतरी। इसके अलावा ओखला मंडी में आलू की क़ीमतें भी एक हफ़्ते में 2 रुपये किलो की बढ़ोतरी है। हर किस्म का आलू 8 से 13 फीसदी के बीच महंगा बिक रहा है।

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उधर सरकार दावा कर रही है कि कालाबाज़ारी रोक कर वो दामों पर क़ाबू पाएगी। लेकिन एनडीटीवी इंडिया को खाद्य मंत्रालय के सूत्र बता रहे हैं कि मॉनसून के बिगड़ने के बाद दामों पर क़ाबू पाना आसान नहीं रह जाएगा। सरकार खराब मॉनसून से निबटने की तैयारी का दावा कर रही है, लेकिन अभी से ही बढ़ते दाम उसके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।