महाराष्‍ट्र: मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान परिषद में मनोनयन में फंसा सियासी पेच, यह है मुश्किल..

उद्धव ठाकरे इस समय न तो विधानसभा और न ही विधान परिषद के सदस्‍य हैं. उद्धव ने 28 नवंबर को महाराष्‍ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और इस हिसाब से छह माह यानी 28 मई तक उनका विधायक बनना जरूरी है.

महाराष्‍ट्र: मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान परिषद में मनोनयन में फंसा सियासी पेच, यह है मुश्किल..

उद्धव ठाकरे इस समय न तो विधानसभा और न ही विधान परिषद के सदस्‍य हैं

नई दिल्ली:

Coronavirus Pandemic: महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के विधान परिषद में मनोनयन पर पेच फंसता नजर आ रहा है. बीजेपी नेताओं के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून में उपचुनावों को लेकर स्थिति स्पष्ट है. इसमें कहा गया है कि अगर किसी रिक्त स्थान का कार्यकाल एक साल से कम है तो उप चुनाव नहीं हो सकता. महाराष्ट्र कैबिनेट ने मनोनयन का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है. गौरतलब है कि विधान परिषद (Legislative Council) में मनोनयन कोटे की दो जगह खाली है. इन दोनों ही रिक्त स्थानों का कार्यकाल छह जून तक था चूंकि यह अवधि एक साल से कम है इसीलिए राज्यपाल ने अभी तक इस मामले में हरी झंडी नहीं दी है. इसे बांबे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी पर कोर्ट ने फैसला राज्यपाल पर फैसला छोड़ दिया है. 

उद्धव ठाकरे इस समय न तो विधानसभा और न ही विधान परिषद के सदस्‍य हैं. उद्धव ने 28 नवंबर को महाराष्‍ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और इस हिसाब से छह माह यानी 28 मई तक उनका विधायक बनना जरूरी है. इस राह में समस्‍या यह है कि कोरोना वायरस की महामारीके चलते सभी सियासी गतिविधियां थमी हुई हैं. यदि वे 28 मई तक किसी सदन (विधानसभा या विधान परिषद) के सदस्‍य नहीं बने तो राज्‍य में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है और उन्हें त्यागपत्र देना होगा. हालांकि वे त्यागपत्र देकर दोबारा मुख्‍यमंत्री बन सकते हैं.

गौरतलब है कि महाराष्‍ट्र में इस समय कोरोना वायरस (Coronavirus) कहर बरपा रहा है. राज्‍य में कोरोना के केस 5500 के पार पहुंच चुके हैं, 269 लोगों को इस महामारी के कारण जान गंवानी पड़ी है. महाराष्‍ट्र की राजधानी मुंबई में भी कोरोना के केसों की संख्‍या अच्‍छी खासी है. 

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