'गैर चुनावी रैली' से अमित शाह ने की बिहार में प्रचार की शुरुआत, प्रवासियों को भी लुभाने की कोशिश

Amit Shah Virtual Rally: गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बिहार की वर्चुअल रैली की शुरुआत कोरोना वॉरियर्स का उत्साह बढ़ाते हुए किया. उन्होंने कहा कि मैं उन करोड़ों कोरोना वॉरियर्स को सलाम करता हूं जो अपनी जान जोखिम में डालकर वायरस से लड़ रहे हैं.

'गैर चुनावी रैली' से अमित शाह ने की बिहार में प्रचार की शुरुआत, प्रवासियों को भी लुभाने की कोशिश

गृह मंत्री अमित शाह.

नई दिल्ली:

Amit Shah Virtual Rally: गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बिहार की वर्चुअल रैली की शुरुआत कोरोना वॉरियर्स का उत्साह बढ़ाते हुए किया. उन्होंने कहा कि मैं उन करोड़ों कोरोना वॉरियर्स को सलाम करता हूं जो अपनी जान जोखिम में डालकर वायरस से लड़ रहे हैं. अमित शाह ने साफ किया कि इस वर्चुअल रैली (Virtual Rally) का बिहार के चुनाव (Bihar Assembly Election) प्रचार से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य कोविड-19 (COVID-19) के खिलाफ लड़ाई में लोगों के साथ जुड़ना है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जब कांग्रेस पार्टी की नेता श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोटने का प्रयास किया तब ये बिहार की जनता ने ही जेपी आंदोलन करके फिर से एक बार लोकतंत्र को स्थापित करने का काम किया. अमित शाह ने कहा कि बिहार की धरती ने ही पहली बार दुनिया को लोकतंत्र का अनुभव कराया. जहां महान मगध साम्राज्य की नींव डाली गई. इस भूमि ने हमेशा भारत का नेतृत्व किया है.
 
अमित शाह ने कहा कि 'इस रैली का चुनाव से कोई संबंध नहीं है. भाजपा लोकतंत्र में विश्वास रखती है. कोरोना संकट में हम जन संपर्क के अपने संस्कार को भुला नहीं सकते. मैं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को बधाई देता हूं कि 75 वर्चुअल रैली के माध्यम से उन्होंने जनता से जुड़ने का मौका दिया है.' अमित शाह ने कहा कि ऐसी 75 और वर्चुअल रैली होंगी. उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक दल के गुणगान गाने की रैली नहीं है. ये रैली जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उनके हौसले बुलंद करने के लिए है. उन्होंने कहा कि जो वक्रदृष्टा लोग इसमें भी राजनीति देखते हैं, उन्हें मैं कहता हूं कि किसने उन्हें रोका है, दिल्ली में बैठकर मौज करने की जगह, दिल्ली से लेकर पटना और दरभंगा की जनता को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल रैली ही कर लेते.

उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी जी ने कहा था कि भारत का विकास जो अब तक चला उसमें पश्चिमी भारत और पूर्वी भारत के विकास में बहुत बड़ा अंतर है. अमित शाह ने कहा कि आजादी के समय जीडीपी के अंदर पूर्वी भारत का योगदान बहुत ज्यादा होता था, परंतु आजादी के बाद से जिस प्रकार से सरकारें चली उन्होंने पूर्वी भारत के विकास से मुंह मोड़ लिया था और परिणाम ये आया कि पूर्वी भारत पिछड़ता गया. गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने छह साल के अंदर करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश लाने का एक प्रयास किया है जिसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी को हुआ है तो वो मेरे पूर्वी भारत के लोगों को हुआ है.

उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी जी ने कहा था कि भारत का विकास जो अब तक चला उसमें पश्चिमी भारत और पूर्वी भारत के विकास में बहुत बड़ा अंतर है. उन्होंने कहा कि आवास, बिजली, बैंक खाते, स्वास्थ्य सेवाएं, गैस सिलेंडर, शौचालय, ये सब तो मोदी सरकार 2014-2019 तक के कार्यकाल में ही दे चुकी थी. 2019 में मोदी जी ने जल शक्ति मंत्रालय गठित करके देश के 25 करोड़ लोगों के घर में नल से शुद्ध जल पहुंचाने की योजना शुरू की. 

उन्होंने कहा कि मोदी जी ने छह साल के अंदर करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश लाने का एक प्रयास किया है जिसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी को हुआ है तो वो मेरे पूर्वी भारत के लोगों को हुआ है. अमित शाह ने कहा कि जब मोदी जी ने पहली बार संसद के अंदर कहा कि मेरी सरकार गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के लिए काम करेगी तब कुछ लोगों ने इंदिरा गांधी जी को क्वोट करके कहा था कि इंदिरा जी भी गरीबी हटाओं की बात करती थीं, इंदिरा जी चली गई और गरीबी वहीं की वहीं रह गई. तब उनको मालूम नहीं था कि भाजपा नेता नरेंद्र मोदी जी के बोले हुए वचन हैं, वो जो बोलते हैं, वो करते हैं.

बता दें कि अमित शाह की वर्चुअल रैली के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने सुबह से ही थाली पीटकर आभासी विरोध शुरू कर दिया था. पटना में अपने आवास के बाहर तेज प्रताप यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रताप थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन करते देखे गए. इस दौरान आरजेडी ने प्रवासी मजदूरों के मामले को मुख्यरुप से उठाया. जोकि विपक्ष की ओर से प्रमुख मुद्दों में से एक है. 

शनिवार को तेजस्वी यादव पार्टी दफ्तर पहुंचे थे और नीतीश कुमार से सवाल पूछने वाले कुछ पोस्टरों को कार्यकर्ताओं के संग मिलकर पार्टी दफ्तर की दीवारों पर चिपकाया थे. तो वहीं नीतीश कुमार, जिन्होंने पिछले 75 दिनों में एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं आजकल पार्टी के कार्यकर्ताओं के संग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद कर रहे हैं जाहिर है चुनाव से पहले नीतीश पार्टी के एक एक कार्यकर्ता की नब्ज टटोलना चाहेंगे. 

वहीं दूसरी तरफ केंद्र में बीजेपी की साथी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का मानना है कि प्रवासी मजदूरों के मामले ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सुशासन बाबू की छवि को चोट पहुंचाई है. राज्य में 8 हजार 500 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद मार्च में छात्रों को रोकना और प्रवासियों की ट्रेन यात्रा के भुगतान से इनकार करने की वजह से लोगों में उनके प्रति गुस्सा पैदा हो गया है. 

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VIDEO: अमित शाह की रैली के खिलाफ RJD का 'गरीब अधिकार दिवस'