स्वर्ण मंदिर की चमक प्रदूषण की वजह से फीकी पड़ने का ख़तरा

स्वर्ण मंदिर की चमक प्रदूषण की वजह से फीकी पड़ने का ख़तरा

स्‍वर्ण मंदिर की फाइल फोटो

अमृतसर:

17वीं सदी के बिल्कुल शुरू में बने स्वर्ण मंदिर की चमक प्रदूषण की वजह से फीकी पड़ने का ख़तरा है। मंदिर परिसर के आसपास गाड़ियों की बेधड़क आवाजाही, बाउंड्री से सटे बेशुमार होटल और धुआं उगलते उनके जेनरेटर, सिखों के सबसे पवित्र गुरुद्वारे की शानो-शौकत के लिए खतरा बने हुए हैं।

पर्यावरण कार्यकर्ता सरबजीत सिंह वेरका बताते हैं कि आसपास करीब 200 होटल हैं जिनके करीब 2 हज़ार कमरों के लिए एसी, किचन और जेनरेटर, ट्रैफिक जो स्वर्ण मंदिर के बिलकुल करीब से गुज़रता है- ये सब मंदिर के गुम्बद और उसकी दीवारों पर सोने कि प्लेटिंग को नुकसान पंहुचा रहे हैं।
 
स्वर्ण मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर चल रहे ऑटो की जांच एनडीटीवी के कैमरे के सामने हुई तो पता चला कि ज्यादतर ऑटोवालों के पास पूरे कागज़ ही नहीं थे, प्रदुषण सर्टिफिकेट तो दूर की बात। पकड़े जाने पर पुलिसवालों को रिश्वत देकर बचने वाले यहां भी मिल गए।
 
दो साल पहले आईआईटी दिल्ली की टीम ने स्वर्ण मंदिर पर प्रदूषण के असर की जांच की थी। उसकी रिपोर्ट में बताया गया कि सिर्फ गुम्बद और दीवारों पर सोने की परत नहीं बल्कि परिसर का सफ़ेद संगमरमर भी काला पड़ रहा है। 170 साल बाद 1999 में पहली बार सोने की परत को बदला गया था जिसकी चमक को बनाये रखने के लिए एसजीपीसी को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। सचिव दलजीत सिंह बेदी बताते हैं कि ये तय हुआ था कि यहां प्रदूषण नापने वाली मशीन लगाई जाये, हमने अपना 25.5 लाख रुपया दे दिया लेकिन प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने अभी तक कार्रवाई नहीं की।

प्रशासन ने कहने को तो बैटरी चालित रिक्शा शुरू किये हैं, एसजीपीसी ने लंगर के लिए एलपीजी का इस्तेमाल बढ़ा दिया है, यहां तक कि त्योहारों पर होने वाली आतिशबाजी भी कम कर दी गयी है, लेकिन ये सब प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं।

डब्लूएचओ कि हाल कि रिपोर्ट में अमृतसर देश का नौवां सबसे प्रदूषित शहर है। अमृतसर को हाल ही में हेरिटेज सिटी का दर्जा मिला है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खुद आकर 1900 करोड़ रुपये कि परियोजनाओं को हरी झंडी दिखयी1 सरकार कहती है कि विरासत को पहले जैसा बनाने कि कवायद चल रही है। उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल कहते हैं कि स्थानीय बुनियादी सुविधाओं को संवारा जा रहा है। विरासतों को 2 सौ साल पहले जैसा स्वरूप देने पर काम चल रहा है।

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स्वर्ण मंदिर में रोजाना 60 से 70 हज़ार लोग पहुंचते हैं। शायद यही वजह है कि मंदिर परिसर को वाहन मुक्त बनाने का सपना अधूरा रह गया। परिसर के पड़ोस में सोने गलाने के कारखाने हैं जिन्‍हें बंद करने की कोशिश अधूरी रह गयी और गैर कानूनी होटल बंद करवाने का मामला सियासी दांव पेंच में उलझ कर रह गया है।