यह ख़बर 09 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

श्वेत क्रांति के जनक 'अमूल मैन' वर्गीज कुरियन नहीं रहे

खास बातें

  • भारत की ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डॉक्टर वर्गीस कुरियन का गुजरात के आणंद के पास के नाडियाड कस्बे के मुलजीभाई पटेल अस्पताल में रविवार को तड़के उम्र संबंधी समस्याओं के कारण निधन हो गया।
आणंद:

भारत को दूध की कमी से जूझने वाले देश से दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने वाले ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डॉ वर्गीज कुरियन का संक्षिप्त बीमारी के बाद रविवार तड़के निधन हो गया।

वह 90 साल के थे और उनके परिवार में पत्नी मॉली कुरियन और पुत्री निर्मला हैं। आणंद में विभिन्न धर्मों के पुरोहितों की उपस्थिति में उनका दाह संस्कार कर दिया गया। उनके पोते सिद्धार्थ ने अंतिम संस्कार किया। उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उनका दाह संस्कार किया गया।

यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर नादियाड में मुलजीभाई पटेल यूरोलॉजीकल अस्पताल में रात सवा एक बजे कुरियन का निधन हो गया। उनका पार्थिव वहां से यहां उनके निवास पर लाया गया और उसे आणंद में अमूल डेयरी के सरदार हाल में रखा गया जहां लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

उनका पेशेवर जीवन सहकारिता के माध्यम से भारतीय किसानों को सशक्त बनाने पर समर्पित था। उन्होंने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गई थी।

बाद में पटेल ने कुरियन को एक डेयरी प्रसंस्करण उद्योग बनाने में मदद करने के लिए कहा जहां से ‘अमूल’ का जन्म हुआ। भैंस के दूध से पहली बार पाउडर बनाने का श्रेय भी कुरियन को जाता है। उन दिनों दुनिया में गाय के दूध से दुग्ध पाउडर बनाया जाता था।

अमूल की सफलता से अभिभूत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य स्थानों फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।

एनडीडीबी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भारत को दुनिया में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए ‘ऑपरेशन फ्लड’ की अगुवाई की और अमूल को घर-घर में लोकप्रिय बनाया।

एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरूआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया। कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं। साठ के दशक में भारत में दूध की खपत जहां दो करोड़ टन थी वहीं 2011 में यह 12.2 करोड़ टन पहुंच गई।

कुरियन के निजी जीवन से जुड़ी एक रोचक और दिलचस्प बात यह है कि देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाला और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर यह शख्स खुद दूध नहीं पीता था। वह कहते थे, ‘‘मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता।’’ भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रैमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल परसन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया।

केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर, 1921 को जन्मे कुरियन ने चेन्नई के लोयला कॉलेज से 1940 में विज्ञान में स्नातक किया और चेन्नई के ही जीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुरियन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कुरियन की ऐसे व्यक्ति के रूप में सराहना की जिसने श्वेत क्रांति की शुरूआत की और कृषि, ग्रामीण विकास तथा डेयरी के क्षेत्र में जबरदस्त योगदान दिया।

उपराष्ट्रति एम हामिद अंसारी ने अपने शोक संदेश में कहा कि कुरियन को दुनिया के सबसे बड़े डेयरी विकास कार्यक्रम ‘ऑपरेशन फ्लड’ का जनक होने का श्रेय जाता है।

कुरियन की पत्नी मॉली कुरियन को भेजे गए अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘किसानों का कल्याण और कृषि उत्पादन तथा देश के विकास में उनके योगदान को मापा नहीं जा सकता है। कुरियन भारत के सहकारिता आंदोलन और डेयरी उद्योग के आदर्श थे।’’ सिंह ने कहा, ‘‘बिचौलियों की बजाय किसान और उसके हितों को सर्वाधिक प्रमुखता देना उनका सबसे बड़ा योगदान था।’’

कांग्रेस प्रमुख और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वर्गीज कूरियन के निधन पर शोक प्रकट किया है और कहा, ‘‘डॉ वर्गीज कूरियन के निधन की जानकारी मिलने पर मैं काफी दुखी हुई। डॉ कूरियन विलक्षण द्रष्टा थे जिनके डेयरी उद्योग में उपलब्धियों से हजारों किसानों को फायदा मिला।’’ कुरियन के गृह राज्य केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनके उल्लेखनीय कार्य ने दुग्ध क्रांति लाई और भारत को बदल दिया एवं उन्होंने हम सभी के दिल के छू लिया। कुरियन की कर्मभूमि गुजरात ही थी।