मुंबई : गोवंश हत्या बंदी कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरे कारोबारी

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मुंबई:

महाराष्ट्र में गोवंश हत्या बंदी कानून के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ने लगा है। शनिवार को इस मुद्दे पर किसानों ने बड़ी तादाद में इकट्ठे होकर कलक्टर के दफ्तर तक मोर्चा निकाला था, तो मंगलवार को मुंबई में भायखला से आज़ाद मैदान तक व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों ने मोर्चा निकाला। सबकी एक ही मांग है कि या सरकार इस फैसले से प्रभावित लोगों को रोज़गार दे या कानून वापस ले।

मंगलवार के मोर्चे में व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों के अलावा सर्व श्रमिक संगठन के कार्यकर्ता, एमआईएम और सरकार में शामिल आरपीआई के लोग भी शामिल हुए। एमआईएम विधायक वारिस पठान ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार इस कानून से धारा 5-डी को रद्द करे, और साथ ही जिन लोगों का रोज़गार इस कानून की वजह से प्रभावित हुआ है, उनके पुनर्वास का इंतज़ाम करे, उनके नुकसान की भरपाई करे, वरना हमारा आंदोलन चलता रहेगा..."

कुछ दिन पहले अकोला में किसान भी गोवंश हत्या बंदी कानून के खिलाफ मोर्चा निकाल चुके हैं। उनका कहना है कि वे पहले से ही कर्ज़ में डूबे हैं, और ऐसे में बीमार बैलों, बछड़ों को पालना उनके बोझ को और बढ़ा सकता है। रैली में शामिल एक किसान रामेश्वर घटाले ने कहा, "मेरा बैल बीमार है, उसे पालना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है, पहले वह 15,000 में बिक सकता था, लेकिन अब उसके लिए सिर्फ 2,000 रुपये मिल रहे हैं..."

हालांकि मुंबई की रैली में लाखों लोगों के जुटने का दावा किया गया था, लेकिन बमुश्किल 100 लोग पहुंचे। इस बारे में जुटे लोगों का कहना था कि पुलिस ने बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं को रोक दिया, और रैली में शामिल होने आ रहे बैलों, बछड़ों को मुंबई की सीमा में घुसने नहीं दिया।

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बहरहाल, एक हक़ीकत यह भी है कि गोवंश हत्या बंदी कानून को लागू करते वक्त महाराष्ट्र सरकार ने गौशालाओं से लेकर कई अन्य उपायों को लागू करने की बात कही थी, लेकिन हक़ीकत में कुछ हुआ नहीं है।