'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' कहावत सच हुई, रायपुर में छत पर उगाए सेब-अनार

प्रतीकात्मक तस्वीर

रायपुर:

सेब आम तौर पर ठंडे इलाकों में पैदा होने वाला फल है। ऐसे में क्या आपको लगता है कि छत्तीसगढ़ में सेब की खेती आसानी से संभव है, वह भी घर की छत पर? असंभव लगता है न! लेकिन इस असंभव को संभव कर दिखाया है, राजधानी रायपुर की नवाचारी जैविक महिला कृषक पुष्पा साहू ने।

उन्होंने रायपुर के अवंति विहार स्थित अपने मकान पर विभिन्न सब्जी व फल के पौधों के साथ सेब के पेड़ भी उगाए हैं। कृषि विशेषज्ञों के लिए छत पर सेब की खेती शोध का विषय बना हुआ है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कुमार साहू के अनुसार, सेब की पैदावार के हिसाब से भविष्य में इसकी अच्छी खेती की संभावना है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में भी सेब के नौ पौधे सुरक्षित हैं। इसे कृषि अनुसंधान के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में लगाया जाएगा।

'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' कहावत को चरितार्थ करती इस छत की खेती देखने बीते बुधवार को जर्मनी से आईं कृषि वैज्ञानिक बारबरा अल्टमल भी साहू के घर पहुंचीं। उनके साथ ओडिशा के कोवनेंट सेंटर फॉर डेवलपमेंट (सीसीडी) के डॉ. पुलिकेश नायडू और अन्य कृषि विज्ञानी भी रहे। उन्होंने छत पर सब्जी, फल व फूलों की खेती देखी। इसके पहले संसदीय सचिव तोखन साहू ने भी छत की खेती का अवलोकन किया।

पुष्पा ने अभी छत पर विदेशी सलाद (लेटुस), बैगन, ग्वार फल्ली के साथ मुनगा, नीबू, सीताफल व अनार के पेड़ लगाए हैं, जो फल दे रहे हैं। इसके साथ ही सेब का पौधा भी लगाया है।

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पुष्पा साहू ने बताया कि इसकी खेती पूरी तरह जैविक पद्धति से की जा रही है। इसमें किसी भी तरह के रसायनिक खाद व कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम 'जैविक छत्तीसगढ़-2015' में छत की जैविक खेती पर पावर प्रजेंटेशन के जरिए प्रस्तुति दी है।

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