क्या नरेंद्र मोदी के इस कदम से नाराज़ हो गए हैं पार्टी के नेता, पढ़ें भीतर की रिपोर्ट

एनडीटीवी से बातचीत में मोदी सरकार में कौशल विकास मंत्री रहे राजीव प्रताप रूडी ने कहा, " ये पार्टी का निर्णय होता है और ये पार्टी ने ही तय किया है. पार्टी ने जब ये तय किया है तो पार्टी के सिपाही के तौर पर हम ये निर्णय ले लेते हैं. आज के दिन मेरे पास इससे ज़्यादा बोलने के लिए कुछ नहीं है". 

क्या नरेंद्र मोदी के इस कदम से नाराज़ हो गए हैं पार्टी के नेता, पढ़ें भीतर की रिपोर्ट

पीएम नरेंद्र मोदी.

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल से जिन मंत्रियों की विदाई तय कर दी गई है- वो हैरान हैं. उनमें से कुछ ने अपना काम दिखाने की भी कोशिश की- लेकिन फ़ैसला पहले हो चुका था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जो तय कर लिया, उसी पर अमल हुआ. कौशल विकास मंत्रालय से इस्तीफा देने वाले राजीव प्रताप रूडी बस ये कह पाए कि पार्टी का फ़ैसला उनको मंज़ूर है. एनडीटीवी से बातचीत में मोदी सरकार में कौशल विकास मंत्री रहे राजीव प्रताप रूडी ने कहा, " ये पार्टी का निर्णय होता है और ये पार्टी ने ही तय किया है. पार्टी ने जब ये तय किया है तो पार्टी के सिपाही के तौर पर हम ये निर्णय ले लेते हैं. आज के दिन मेरे पास इससे ज़्यादा बोलने के लिए कुछ नहीं है". 

पार्टी की वरिष्ठ और दिग्गज नेता उमा भारती को कहना पड़ा कि वो नाराज़ नहीं हैं, कोई बयान नहीं देंगी, अगर कुछ पूछना है तो अमित शाह या उनके नुमाइंदों या शिवराज सिंह चौहान से पूछा जाए.
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यही हाल दूसरे मंत्रियों का भी दिखा. जब एनडीटीवी ने मानव संसाधन राज्य मंत्री महेंद्र पांडे से पूछा कि क्यों उन्हें सरकार से हटाकर उत्तर प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. तो वो साफ शब्दों में जवाब देने से बचते दिखे.  

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महेन्द्र पांडे ने कहा, "मैं हमेशा से ही संगठन का ही सिपाही था पार्टी को उपयुक्त लगा तो मुझे दुबारा संगठन में लाया जा रहा है. जो पार्टी ज़िम्मेदारी देगी मानूंगा... सबको दूसरी ज़िम्मेदारियां दी जा सकती हैं,,,ये सब नीतिगत फ़ैसले हैं सोंच विचार कर लिए गए हैं."
VIDEO: मोदी मंत्रिमंडल विस्तार

कई और मंत्री, जिन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला लिया गया है वो पूरे दिन कैमरा पर सामने आमने आने से बचते दिखे. दरअसल अगले लोक सभा चुनावों से पहले शायद ये सबसे अहम फेरबदल है. साफ है, कामकाज और क्षमता को मापदंड बनाया गया है. जो खरे नहीं उतरे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. जिनकी पारटी में ज़रूत थी उन्हें पारटी में संगठन देखने की ज़िम्मेदारी दी गयी है.


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