यह ख़बर 19 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सेना प्रमुख के उम्र विवाद पर प्रधानमंत्री का टिप्पणी करने से इनकार

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के उम्र विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
नई दिल्ली:

सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह की जन्मतिथि पर विवाद जारी रहने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इंकार करते हुए गुरुवार को कहा कि यह मामला संवेदनशील है।

प्रधानमंत्री ने ऐसे समय में इस मामले में कुछ कहने से इंकार किया है जब जनरल सिंह के समर्थन में एक निजी संगठन ने उच्च्तम न्यायालय में याचिका दायर की है। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि जनरल सिंह की याचिका पर कल सुनवाई होगी या नहीं।

एक पुस्तक के लोकापर्ण कार्यक्रम से इतर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘यह एक संदेदनशील मुद्दा है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।’ प्रधानमंत्री से सेना प्रमुख के उम्र के बारे में जारी विवाद के बारे में पूछा गया था। इस मामले में सेना प्रमुख ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

बहरहाल, सेना प्रमुख वी के सिंह ने आज दोपहर में रक्षा राज्य मंत्री एम एम पल्लम राजू से मुलाकात की। एक दिन पहले राजू ने उम्र विवाद में अदालत का दरवाजा खटखटाने के सेना प्रमुख सिंह के कदम पर अप्रसन्नता व्यक्त की थी। अभी तक यह पता नहीं चला है कि इस बैठक का क्या नतीजा निकाला। लेकिन समझा जाता है कि यह बैठक विषयों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए की गई थी।

बुधवार को, राजू ने कहा था, ‘यह दूर्भाग्यपूर्ण घटना है और यह स्वस्थ्य परंपरा नहीं है। यह न तो मंत्रालय और न ही सैन्य बलों के लिए ठीक है।’ गौरतलब है कि थलसेला प्रमुख जनरल वी के सिंह ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि सरकार ने उनके साथ जिस तरीके से व्यवहार किया, उससे उनकी उम्र के मामले में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत और प्रक्रिया का पूर्ण अभाव परिलक्षित होता है।

जनरल सिंह ने अपनी जन्मतिथि 10 मई 1951 के स्थान पर 10 मई 1950 निर्धारित करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में 68 पृष्ठों की याचिका दायर की है। जनरल सिंह ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन थलसेना प्रमुख के कहने पर भरोसे में आकर अपना जन्म वर्ष 1950 स्वीकार कर लिया था। उन्होंने कहा कि इसके पीछे सैन्य सचिव की शाखा के साथ समझौता नहीं था। उनकी याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी (सरकार) को यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि सेना के सबसे वरिष्ठ अधिकारी के साथ इस तरह का बर्ताव क्यों किया गया जिसमें प्रक्रिया और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पूर्ण अभाव झलकता हो, वह भी अटार्नी जनरल से ली गयी राय के आधार पर।

जनरल सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि रक्षा मंत्रालय ने सेना का अधिकारिक रिकार्ड रखने वाली एडज्यूटेंट जनरल शाखा के रिकार्डों पर संदेह किए जाने का कोई स्पष्टकीरण नहीं दिया। उन्होंने कहा कि किसी अन्य प्राधिकार ने भी उनकी दलील को खारिज करते हुए ऐसा नहीं किया। सेना प्रमुख ने कहा कि यह समझ से परे है कि यूपीएससी फार्म भरे जाने के दौरान असावधानीवश हुई गलती को क्यों इतना महत्व दिया जा रहा है जबकि अन्य रिकार्ड की अनदेखी की जा रही है।

अपनी जन्मतिथि 10 मई 1950 स्वीकार के करने कर कारण बताते हुए जनरल सिंह ने तत्कालीन थलसेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर के साथ हुयी बातचीत का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जनरल कपूर द्वारा आदेश दिए जाने पर ऐसा किया। जनरल सिंह ने कहा कि भारतीय सेना की उच्च परंपरा को देखते हुए उनके पास कोई विकल्प नहीं था सिवाय अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन करने का। उन्होंने कहा कि उनके वरिष्ठ अधिकारी ने आश्वासन दिया था कि वह तथ्यों को स्वीकार करते हुए इस मुद्दे को तार्किक अंत तक पहुंचाऐंगे।

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जनरल सिंह ने याचिका में कहा कि थलसेना प्रमुख को गरिमा के साथ अवकाश ग्रहण करने का अधिकार है, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार को उनका कार्यकाल निर्धारित करने का अधिकार है। जनरल सिंह ने जन्मतिथि 10 मई 1951 स्वीकार करने के संबंध में अपनी संवैधानिक शिकायत को खारिज कर दिए जाने को ‘अवैध तथा मनमाना’ बताते हुए कहा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।