यह ख़बर 22 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'2जी में मूकदर्शक बने रहे सरकार और उसके मंत्री'

खास बातें

  • जेटली ने कहा, करीब दो वर्षों से टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर सरकार के इंकार की मुद्रा के बाद अदालत के हस्तक्षेप पर जांच की।'
नई दिल्ली:

देश की मौजूदा राजनीति एवं आर्थिक स्थिति को गंभीर बताते हुए भाजपा ने गुरुवार को कहा कि देश में निवेश नहीं हो रहा है, सरकार स्वयं से संघर्ष करती दिख रही है, जनता का सरकार पर विश्वास समाप्त हो गया है और इसके प्रमुख नेता मूकदर्शक बन गए हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा, करीब दो वर्षों से टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर सरकार के इंकार की मुद्रा के बाद अदालत के हस्तक्षेप पर जांच की। 2008 में स्पेक्ट्रम को 2001 की कीमत पर बेच दिया गया। सरकार और इसके मंत्री मूकदर्शक बने रहे। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में पूरी व्यवस्था को बदलकर कलमाडी को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। जेटली ने कहा, दुनिया में ऐसा उदाहरण नहीं मिलता जहां रिश्वत देकर विश्वास मत हासिल करने वाली सरकार ने ऐसा काम किया हो। ऐसा कांग्रेस की सरकार में एक नहीं बल्कि दो बार हुआ और जिन सांसदों ने इसे उजागर करने का काम किया उन्हें जेल भेज दिया गया। देश में आतंकवादी घटना रोकने की सरकार की क्षमता पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि उनकी पार्टी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के गठन में कांग्रेस नीत सरकार की मदद कर भूल की है क्योंकि सरकारी एजेंसियों का राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। जेटली ने कहा कि दिल्ली में महरौली, जामा मस्जिद आतंकी घटना के अलावा वाराणसी, आगरा में आतंकी वारदातों की जांच का कोई नतीजा नहीं निकला है। हमारा खुफिया तंत्र कमजोर पड़ गया है। हर गैर कांग्रेस शासित राज्य में राज्यपाल आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कानून बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक बड़ा उद्देश्य लेकर बांग्लादेश गए थे लेकिन पहली बार संप्रग की अंतर्कलह ने विदेश नीति को प्रभावित किया। पिछले काफी समय से बाहर से देश में निवेश कम हुआ है और देश के उद्योगपति देश से बाहर निवेश कर रहे हैं। सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। जेटली ने कहा, संप्रग सरकार की विश्वसनीयता लगातार घटी है और सरकार के सहयोगियों के बीच संबंध खराब हुए हैं। नेतृत्व की दृष्टि से यह सरकार डगमगा रही है। सरकार कौन चला रहा है यह समझ से परे हैं।


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