यह ख़बर 29 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अपनी रिपोर्टों को सनसनीखेज न बनाए कैग : जेटली

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) से कहा कि वह समाचारों की सुर्खियों में जगह पाने के लिए लिए अपने निष्कर्षों को सनसनीखेज ढंग से प्रस्तुत न करे।

इससे पहले इसी तरह के विचार कांग्रेस पार्टी ने उस समय व्यक्त किए थे, जब कैग की 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन संबंधी रिपोर्टे आई थीं। इन रिपोर्टों में विशाल काल्पनिक राजस्व हानि का आकलन लगाया गया था।

जेटली ने आज यहां महालेखाकारों के सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'लेखापरीक्षक को यह ध्यान में रखना चाहिए कि वह एक निर्णय की समीक्षा कर रहा है जो लिया जा चुका है। उसे देखना है कि क्या उस निर्णय में उचित प्रक्रिया अपनाई गई?' उन्होंने कहा, 'उसे इसे सनसनीखेज बनाने की जरूरत नहीं है। उसे समाचारों की सुर्खियों में आने की जरूरत नहीं है।'

वित्तमंत्री ने कहा कि लेखापरीक्षक को एक सतर्क और सक्रिय परीक्षक तो होना चाहिए, लेकिन सक्रियता और संयम हमेशा एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं।

कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन रिपोर्ट और कोयला खान आवंटन रिपोर्ट में क्रमश: 1.76 लाख करोड़ और 1.84 लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान व्यक्त किया गया। केंद्रीय लेखापरीक्षक की इन रिपोर्टों से कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार को काफी परेशानी हुई। इससे वह विपक्ष के निशाने पर आ गई।

जेटली ने कहा, 'उसे (लेखापरीक्षक को) निर्णय प्रक्रिया की पूरी तरह से जांच परख करनी चाहिए। उसे इसमें किसी भी तरह के भाई-भतीजावाद अथवा पक्षपात को पकड़ कर सामने लाना चाहिए ..।'

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वित्त मंत्री ने कहा कि लेखापरीक्षक को गलत निर्णय और भ्रष्ट निर्णय में अंतर स्पष्ट करने की योग्यता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यदि उसे पता चलता है कि निर्णय भ्रष्ट विचार से लिया गया है तो इस बारे में टिप्पणी करने में स्वविवेक के प्रयोग का स्तर पूरी तरह से अलग होना चाहिए।' उन्होंने कहा कि लेखापरीक्षक के सामने जब विभिन्न प्रकार के विचार रखे गए हों तो उसे अधिक उदार रख अपनाना चाहिए।