2014 के धरने में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर आरोप तय

केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने सैकड़ों समर्थकों के साथ 20 जनवरी 2014 को रेल भवन के बाहर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए धरना दिया था.

2014 के धरने में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर आरोप तय

अरविंद केजरीवाल ने पार्टी नेताओं और समर्थकों के साथ मिलकर रेलभवन पर धरना दिया था.

नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी विधायक सोमनाथ भारती को 2014 में एक आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और लोक सेवकों के काम को बाधित करने के मामले में आरोप तय किए गए हैं. अडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने कहा कि मामले में शामिल होने की गंभीर शंका के लिए इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. अदालत ने इन नेताओं के बचाव में पेश कई गई सभी दलीलों को ठुकरा दिया है. वहीं  सांसद संजय सिंह और आप के पूर्व नेता आशुतोष को अदालत ने यह कहते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. जबकि विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिड़ला पर अभी आरोप तय नहीं किए गए क्योंकि वे शुक्रवार को अदालत में पेश नहीं हुईं थी. अदालत ने उन्हें 8 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया तभी उन पर आरोप तय किए जाएंगे.  

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अदालत ने गैरकानूनी सभा से संबंधित आईपीसी की धारा 143 और 145,  लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा करने के लिए धारा 188,  दंगा करने की धारा 147, सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में सार्वजनिक रूप से बाधा डालने के लिए धारा 186  और अपने कर्तव्य के निर्वहन से लोक सेवक को रोकने के लिए किया गया हमला और चोट पहुंचाने के लिए धारा 353 और 332 के तहत आरोप तय किए हैं. 

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बता दें केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने सैकड़ों समर्थकों के साथ 20 जनवरी 2014 को दक्षिण दिल्ली में एक कथित ड्रग और वेश्यावृत्ति रैकेट पर छापा मारने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए रेल भवन के बाहर धरना दिया था. पुलिस ने उनके खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया है कि 19 जनवरी 2014 को सहायक पुलिस आयुक्त ने रेल भवन और संसद मार्ग के पास नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, विजय चौक इलाकों में निषेधाज्ञा लागू की थी, जिसके खिलाफ जाकर उन्होंने यह विरोध प्रदर्शन किया. 

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पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और सार्वजनिक कर्मचारियों को उनके आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में बाधा पहुंचाने के आरोप में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. चार्जशीट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों ने रेल भवन पर उन्हें बैरिकेड्स लगाकर रोकने की कोशिश की तो इन नेताओं ने अपने समर्थकों को उकसाया और उन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की. 

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