केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा, आर्थिक नरमी से निपटने के लिये उठाएगी कदम: केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार पर इस बात को लेकर पूरा भरोसा है कि वह आर्थिक नरमी से निपटने के लिये ठोस कदम उठाएगी.

केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा, आर्थिक नरमी से निपटने के लिये उठाएगी कदम: केजरीवाल

सरकार अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये जो भी कदम उठाएगी, दिल्ली सरकार का पूरा समर्थन- केजरीवाल

खास बातें

  • आर्थिक नरमी पर बोले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
  • कहा- केंद्र सरकार पर है पूरा भरोसा
  • केंद्र सरकार के कदम का समर्थन करेगी दिल्ली सरकार- अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें केंद्र सरकार पर इस बात को लेकर पूरा भरोसा है कि वह आर्थिक नरमी से निपटने के लिये ठोस कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि यह एक देश के रूप में एकजुट होकर खड़े होने और अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का समय है. सीएम केजरीवाल ने एक कार्यक्रम से इतर कहा, 'मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आर्थिक नरमी को लेकर ठोस कदम उठाएगी. यह ऐसा समय है जब देश को एक साथ खड़ा होने तथा अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है. केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये जो भी कदम उठाएगी, दिल्ली सरकार उसे पूरा समर्थन देगी. मैं नौकरियों के नुकसान को लेकर निजी तौर पर चिंतित हूं.' उन्होंने कहा, 'यह गंभीर चिंता का विषय है, खास तौर पर ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर, रीयल एस्टेट और अन्य ऐसे सेक्टर जिनमें नरमी का असर ज्यादा नजर आ रहा है. 

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बता दें कि जापानी ब्रोकरेज फर्म Nomura की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान GDP में वृद्धि के 5.7 फीसदी तक गिर जाने का अनुमान है, क्योंकि खपत घटी है, निवेश कमज़ोर हुआ है और सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन खराब हुआ है. हालांकि Nomura ने यह भी कहा है कि जुलाई-सितंबर की तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार होने की उम्मीद है.

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Nomura की रिपोर्ट में भारत में मंदी की वजह कमज़ोर होती वैश्विक वृद्धि और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई मांग में कमी के साथ-साथ शैडो बैंकों, यानी गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) में जारी संकट को बताया गया है, जो पिछले साल सितंबर में लिक्विडिटी संकट की करारी चोट पड़ने से पहले तक मांग से ज़्यादा कर्ज़े देते चले जा रहे थे.

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