अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी की मां हीराबेन को लेकर साधा निशाना
खास बातें
- मां के राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप लगाया
- केजरीवाल का सवाल- मां को साथ क्यों नहीं रखते
- मां के बैंक जाने को लेकर भी उठाया था सवाल
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा है. इस बार उनकी मां हीराबेन को लेकर उन्होंने पीएम मोदी को खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने पीएम पर मां का राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप लगाया. दरअसल, पीएम मोदी ने रविवार को फतेहपुर की रैली में एक बार फिर अपनी मां की जिक्र करते हुए कहा कि मेरी मां जिंदगी भर चूल्हे में लकड़ी जलाकर खाना बनाती थी. उनका दर्द मैंने महसूस किया और देखा है. इस पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि तो फिर अपनी माँ को अपने साथ क्यों नहीं रखते? मैंने किसी को इतनी बेशर्मी से अपनी 90 साल की बूढ़ी माँ का राजनीतिक दुरुपयोग करते नहीं देखा
आपको बता दे कि इससे पहले भी नोटबंदी के दौरान बैंक जाकर रुपये निकलवाने को लेकर अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि राजनीति के लिए मां को लाइन में लगाकर ठीक नहीं किया. कभी लाइन में लगना हो तो मैं ख़ुद लाइन में लगूंगा, मां को लाइन में नहीं लगाऊंगा.
गौरतलब है कि फतेहपुर की रैली में पीएम मोदी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा, "सपा पहले कहती थी कि किसी से समझौता नहीं होगा. 2/3 बहुमत से जीतेंगे. फिर दोनों लोग मिल गए और फिर कहने लगे कि बहुमत मिल जाएगा. लेकिन आज मतदान के बाद अखिलेश यादव का चेहरा लटका हुआ था. मैंने सुना कि वह कर रहे थे कि सपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी. क्या हुआ भैया? हम अभी केवल तीसरे चरण में हैं लेकिन आप लोगों को देखकर ऐसा लगता है कि आपके हौसले पस्त हो गए हैं." उन्होंने एसपी-कांग्रेस गठबंधन को डूबता जहाज करार दिया. कहा कि दोनों डूबते दलों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ लिया है.
सपा सरकार पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने यहां कहा कि सरकारी खजाने से धन लुटाकर, टीवी अखबारों में छाने का प्रयास कर यूपी की सपा सरकार ने सोचा था कि लोगों की आंख में धूल झोंकेंगे. लेकिन जनता सब कुछ जानती है. पीएम मोदी ने अखिलेश यादव सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार की मंशा जनता को समझ में आती है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को पुरखों के नाम का सहारा लेना पड़ रहा है. राहुल गांधी और कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जिन लोगों ने 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया. उन्होंने गांव-गांव जाकर पाया कि कुछ हो नहीं पा रहा है. भारी प्रचार करने वालों को भी लगा पांच साल बीत गए जनता का विश्वास टूट गया. ऐसे में दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामा ताकि डूबने से बच जाएं.