अयोध्या विवाद : मध्यस्थता समिति में श्री श्री रविशंकर, असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए याद दिलाया एक पुराना बयान

ओवैसी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर ने एक बार कहा था, 'अयोध्या में विवादित स्थल पर मुस्लिम अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा'. श्री श्री के इसी बयान पर ओवैसी ने आपत्ति जताई है.

अयोध्या विवाद : मध्यस्थता समिति में श्री श्री रविशंकर, असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए याद दिलाया एक पुराना बयान

खास बातें

  • ओवैसी ने जताई आपत्ति
  • अच्छा होता कि कोई निष्पक्ष होता : ओवैसी
  • याद दिलाया एक पुराना बयान
नई दिल्ली:

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या मामले (Ayodhya dispute) में मध्यस्थता समिति में धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को शामिल करने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) के एक पुराने बयान की याद दिलाते हुए कहा कि अच्छा होता कि अगर सुप्रीम कोर्ट किसी निष्पक्ष शख्स को इसमें शामिल करता. ओवैसी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर ने एक बार कहा था, 'अयोध्या में विवादित स्थल पर मुस्लिम अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा'. श्री श्री के इसी बयान पर ओवैसी ने आपत्ति जताई है. आपको बता दें कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में इसके निपटारे के लिए बातचीत का रास्ता खोला है. कोर्ट ने इसके लिए एक मध्यस्थता समिति की घोषणा की है. जिसमें जस्टिस खलीफुल्ला अगुवाई में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को शामिल किया गया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक मध्यस्थता समिति की बैठक फैजाबाद में होगी और उसकी कार्यवाही की रिपोर्ट गोपनीय रखी जाएगी. इसके अलावा मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक है.

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समिति को 1 हफ्ते में सभी पक्षों से बातचीत शुरू कर देनी है और 4 हफ्ते में बातचीत की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी है. समिति को 8 हफ्ते का वक्त मध्यस्थता के लिए दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) ने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कहा है कि उन्हें सबका सम्मान करते हुए समाज में समरसता कायम करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है. 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

  1. जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता की अध्यक्षता में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू मध्यस्थता समिति में शामिल होंगे.
  2. मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रहेगी और इस पर पूरी तरह से मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध रहेगा.
  3. एक हफ्ते में सभी पक्षों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और इसके लिए सारा इंतजाम उत्तर प्रदेश सरकार को करना है. मध्यस्थता के लिए बातचीत फैजाबाद में होगी और समिति को 4 हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट सौंपनी है.
  4. बातचीत के प्रक्रिया कैमरे के सामने होगी. बातचीत की पूरी प्रक्रिया 8 हफ्ते में पूरी कर ली जाएगी. 
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