कोरोना मरीज के लिए 450 किमी दूर इस तरह पहुंचाया गया ब्लड प्लाज्मा

असम (Assam) में एक कोरोना वॉरियर (COVID-19 warrior) की जान बचाने के लिए कुछ युवकों ने 450 किलोमीटर की दूरी 8 घंटे से भी कम समय में तय की.

कोरोना मरीज के लिए 450 किमी दूर इस तरह पहुंचाया गया ब्लड प्लाज्मा

'मारवाड़ी युवा मंच' के सदस्यों ने इस काम का जिम्मा लिया.

खास बातें

  • असम में गंभीर हालत में था कोरोना वॉरियर
  • मदद को आगे आया 'मारवाड़ी युवा मंच'
  • 8 घंटे से कम समय में तय की 450 किमी की दूरी
गुवाहाटी:

असम (Assam) में एक कोरोना वॉरियर (COVID-19 warrior) की जान बचाने के लिए कुछ युवकों ने 450 किलोमीटर की दूरी 8 घंटे से भी कम समय में तय की. वह लोग गुवाहाटी से अपनी कार तेज रफ्तार से ड्राइव कर डिब्रूगढ़ पहुंचे. दरअसल वह लोग वायरस से संक्रमित कोरोना वॉरियर के लिए ब्लड प्लाज्मा का बॉक्स (आइस बॉक्स) लेकर चले थे. डिब्रूगढ़ स्थित असम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (AMCH) के आईसीयू में भर्ती संक्रमित शख्स की जान बचाने के लिए ब्लड प्लाज्मा बेहद जरूरी था.

यह सब शुक्रवार की देर शाम को शुरू हुआ, जब डिब्रूगढ़ स्थित डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर पापुकोन गोगोई को AMCH में एक स्टाफ नर्स बिजुरानी गोगोई के लिए ब्लड प्लाज्मा की तत्काल आवश्यकता के बारे में कॉल आया. बिजुरानी गोगोई ड्यूटी के दौरान कोरोनावायरस से संक्रमित हुए थे और जीवन के लिए जूझ रहे थे. AMCH स्थित प्लाज्मा बैंक में प्लाज्मा नहीं था और सबसे करीब प्लाज्मा बैंक जोरहाट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (JMCH) था लेकिन वहां भी प्लाज्मा उपलब्ध नहीं था.

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डॉक्टर गोगोई ने कहा, 'गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में एक यूनिट ब्लड प्लाज्मा का इंतजाम हुआ लेकिन मुश्किल ये थी इसे वहां से यहां लाया कैसे जाए. सरकारी व्यवस्थाएं भी इस समय कोरोना संकट के चलते प्रभावित हैं.' जिसके बाद उन्होंने डिब्रूगढ़ में 'मारवाड़ी युवा मंच' के सदस्यों से संपर्क किया. यह संगठन देश में सबसे ज्यादा यंग वॉलंटियर्स वाला संगठन है. इस हफ्ते डॉक्टर गोगोई ने 'मारवाड़ी युवा मंच' की मदद से डिब्रूगढ़ में ब्लड प्लाज्मा डोनेशन कैंप लगाया था.

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संगठन के महासचिव (पूर्वोत्तर) राहुल अग्रवाल ने कहा, 'रात करीब 9 बजे डिब्रूगढ़ यूनिट ने हमें इस बारे में सूचित किया. हम लोग इससे पहले असम में गरीबों की मदद व अन्य राहत शिविर लगा चुके हैं. ये नया संकट था कि ब्लड प्लाज्मा वहां पहुंचाया कैसे जाए. जिसके बाद हमने ब्लड प्लाज्मा गुवाहाटी से डिब्रूगढ़ ले जाने की जिम्मेदारी ली. ये किसी चुनौती से कम नहीं था. एक से दूसरे जिले में जाने पर रोक है और शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू भी लागू है. वीकेंड पर पूरी तरह से लॉकडाउन है.'

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संगठन के प्रमुख (पूर्वोत्तर) मोहित नहाटा कोकराझार में रहते हैं. उन्होंने गुवाहाटी से डिब्रूगढ़ के बीच आने वाले जिलों की सभी यूनिट के सदस्यों को इस बारे में जानकारी दी. यह तय हुआ कि हर यूनिट ब्लड प्लाज्मा को दूसरे जिले के बॉर्डर तक छोड़ेगा और फिर वहां से उस जिले की यूनिट अगले जिले की यूनिट को इसे आगे भेजने के लिए सौंपेगी. मोहित खुद फोन पर इस मिशन को मॉनिटर कर रहे थे. रात 10:35 बजे राहुल अग्रवाल और रवि सुरेखा को ब्लड प्लाज्मा मिला और वह फौरन नागांव के लिए निकले, जहां नागांव में संगठन की दूसरी यूनिट उनका इंतजार कर रही थी. नागांव यूनिट को प्लाज्मा हैंडओवर करते ही वह टीम बोकाखाट के लिए रवाना हो गई.

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राहुल अग्रवाल ने कहा, 'ये एक रिले रेस जैसा था. वक्त और विरोधी के खिलाफ रेस जैसा. बोकाखाट टीम ने जोरहाट टीम को प्लाज्मा दिया, जोरहाट टीम ने शिवसागर यूनिट को, शिवसागर यूनिट ने मोरन को और आखिरकार मोरन ने डिब्रूगढ़ यूनिट को प्लाज्मा हैंडओवर किया.' सुबह 6:14 बजे डिब्रूगढ़ में प्लाज्मा लेने वाले सुबीर केजरीवाल ने कहा, 'हमने पहले कभी इतनी तेजी से काम नहीं किया था. हम खुश हैं कि हमने किया. हमें पुलिस द्वारा कई जगहों पर रोका गया लेकिन हमने उन्हें अस्पताल का लेटर दिखाया. भारी बारिश भी हो रही थी. हम सभी जगे हुए थे. लाइव लोकेशन से सबको ट्रैक कर रहे थे. सुबह 6:14 बजे हमें प्लाज्मा बॉक्स मिला और हमने इसे फौरन AMCH को हैंडओवर किया.'

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डॉक्टर गोगोई ने इस बारे में कहा, 'मैं पूरी रात नहीं सोया. मैं ये रात कभी नहीं भूल सकता. मैं भी डिब्रूगढ़ टीम के साथ बॉक्स लेने गया था. ये इन युवकों के बगैर मुमकिन नहीं था. ये सबसे बेहतर उदाहरण है कि युवा और समाज कैसे कोरोना महामारी से डटकर लड़ रहा है.' AMCH सूत्रों के अनुसार, कोरोना मरीज को शनिवार को ब्लड प्लाज्मा दे दिया गया है.

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