गुवाहाटी: असम में बाढ़ से हालात ख़राब होते जा रहे हैं। बाढ़ की वजह से अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं। क़रीब 1.5 लाख लोग बेघर हो गए हैं, जिन्होंने राहत शिविरों में शरण ली है। हालात यह हैं कि काजीरंगा नेशनल पार्क में गैंडों को बचाना भी वन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
असम सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत, पुनर्वास और मरम्मत कार्यों के लिए आज 500 करोड़ रुपए की अंतरिम राहत मांगी है। असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने कल कहा था कि 'हम केंद्र से अंतरिम राहत के रूप में 500 करोड़ रुपए मांग रहे हैं। कई क्षेत्र अब भी पानी में डूबे हुए हैं, लिहाजा नुकसान के अंतिम आकलन में कुछ वक्त लगेगा।' राज्य सरकार ने पिछले साल बाढ़ के बाद जो राशि मांगी थी, केंद्र ने नहीं जारी की।
मुख्यमंत्री ने बताया, कई स्थानों पर बारिश रूक गई है और जलस्तर घट रहा है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार राज्य में 984 गांवों में 8.33 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। प्रभावित जिले धेमाजी, धुबरी, ग्वालपाड़ा, चिरांग, कोकराझाड़, बोगांईगांव, लखीमपुर, डिब्रूगढ़, सोनितपुर, बारपेटा, जोरहट, मोरीगांव, कामरूप, गोलाघाट और नौगांव हैं] जहां 50 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल पानी में डूब गई है।
एएसडीएमए के अनुसार धुबरी पर बाढ़ की सबसे अधिक मार पड़ी है, जहां 3.8 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। बोगांईगांव दूसरा सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिला है, जहां 1.4 लाख मुसीबत में हैं। प्रशासन कोकराझार, बोगांईगांव, धुबरी, मोरीगांव, नागांव, बारपेटा, सोनितपुर और कामरूप जिलों में 164 राहत शिविर चला रहा है, जहां 1.6 लाख लोगों ने शरण ले रखी है। ब्रह्मपुत्र नदी जोरहट के नेमातिघाट, ग्वालपारा और धुबरी शहरों में खतरे के निशान से उपर बह रही है। (इनपुट भाषा से भी)