असम में महिला को घोषित कर दिया विदेशी, बेटा बोला- हम बिहार से इस राज्य में आए तो 'मां' विदेशी कैसे हो सकती है?

फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने 30 अप्रैल को घोषित किया कि अमिला यह सिद्ध करने में असफल रहीं कि वह केशब प्रसाद गुप्ता की बेटी है.

असम में महिला को घोषित कर दिया विदेशी, बेटा बोला- हम बिहार से इस राज्य में आए तो 'मां' विदेशी कैसे हो सकती है?

अमिला शाह

खास बातें

  • असम में महिला को विदेशी घोषित किया
  • परिवार ने कहा- हमारा मूल बिहार है
  • गुवाहाटी हाईकोर्ट में मामला ले जाने की योजना
असम:

एनआरसी से जुड़ा एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. असम में इस महीने की शुरुआत में ट्रिब्यूनल द्वारा एक 40 साल की महिला को विदेशी घोषित किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था और उसे डिटेंशन सेंटर भेजा गया. लेकिन अब महिला के परिवार ने दावा किया कि उसके(महिला) पिता का जन्म बिहार में हुआ था और वह ब्रिटिशकाल से ही असम (Assam) में रह रहे हैं. अमिला शाह को 15 जून को सोनितपुर जिले के ढोलाईबील क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था. फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने 30 अप्रैल को घोषित किया कि अमिला यह सिद्ध करने में असफल रहीं कि वह केशब प्रसाद गुप्ता की बेटी है. केशब प्रसाद का जन्म बिहार के नालंदा में हुआ था और वह 1948 में असम के प्रतापगढ़ टी ईस्टेट चले गए थे.

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हालांकि शाह के परिवार के सदस्यों का नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन(एनआरसी) में शामिल किया गया है. शाह के भाई रमेश गुप्ता ने कहा, '15 जून को अमिला को डिटेंशन सेंटर भेजा गया था. हम वास्तव में भारतीय हैं. हम हिंदी बोलने वाले लोग हैं और असम में रह रहे हैं. हमारा मूल बिहार है. हमारे पिता बिहार से असम आए थे. हम गरीब और अशिक्षित हैं इसलिए दस्तावेज रखना पेचीदा हुआ लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम भारतीय नहीं है. हमारे नाम एनआरसी (NRC) सूची में आ गए हैं.' अब अमिला का परिवार फॉरन ट्रिब्यूनल के फैसले पर गुवाहाटी हाईकोर्ट जाने की योजना बना रहा है.

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अमिला के बेटे भोला शाह ने कहा, 'यह एनआरसी का सवाल नहीं है. एनआरसी अवैध विदेशी प्रवासियों को हिरासत में लेने के लिए है. हम भारत के ही एक राज्य बिहार से प्रवासी हैं. मेरी मां विदेशी कैसे हो सकती है.' बता दें कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी का मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल किये गये थे. इस सूची में 40,70,707 व्यक्तियों के नाम नहीं थे जबकि 37,59,630 व्यक्तियों के नाम अस्वीकार कर दिये गये थे. शेष 2,48,077 व्यक्तियों के नाम अलग रखे गये थे.