क्या बीसीसीआई मुख्यालय में मुखौटे से ज्यादा होगी क्रिकेटरों की भूमिका?

क्या बीसीसीआई मुख्यालय में मुखौटे से ज्यादा होगी क्रिकेटरों की भूमिका?

प्रतीकात्मक फोटो

मुंबई:

इतिहास में पहली बार बीसीसीआई में खिलाड़ियों का एसोसिएशन बनेगा, लेकिन यूनियन नहीं होगी। मकसद है खिलाड़ियों को आवाज मिले, खेल को बढ़ाने में उनके कौशल का इस्तेमाल हो। जस्टिस ( रिटायर्ड) आरएम लोढा ने देश में क्रिकेट को चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी सिफारिश में साफ कर दिया कि उनके ख्याल से देश में क्रिकेटर ही क्रिकेट को चलाएं।

क्रिकेट में बड़े बदलाव का आगाज
कुल मिलाकर क्रिकेट में बड़े बदलाव का आगाज़ हो गया है। क्रिकेट के मुख्यालय में क्रिकेट चलान वालों के अलावा उनके बैठने की भी सिफारिश लोढा कमेटी ने की है, जिन्होंने क्रिकेट जिया है, इसे समझा है, देश के लिए खून-पसीना बहाया है। इसकी स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष होंगे जीके पिल्लई। सदस्यों के रूप में पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ, अनिल कुंबले और डायना एडल्जी को शामिल किया गया है। कमेटी में नाम आने के बाद डायना ने कहा " मैं लोढा कमेटी की सिफारिशों के मद्देनज़र खिलाड़ियों के एसोसिएशन में काम करने का मौका दिए जाने से खुश हूं। हमारी कोशिश होगी कि पहले बने एसोसिएशन की तरह बोर्ड से कोई टकराव न हो और बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों के लिए थोड़ा ज्यादा खर्च करे। "

बोर्ड को लेकर चुप्पी बनाए रहते हैं दिग्गज क्रिकेटर  
सन 1928 में गैर पंजीकृत संस्था के रूप में अस्तित्व में आई बीसीसीआई में कई बार अनौपचारिक तौर पर क्रिकेटरों के एसोसिएशन बने लेकिन कभी कामयाब नहीं हुए। असफल होने की बड़ी वजह है कि आज भी कई बड़े नाम बोर्ड के बारे में कुछ भी कहने से कन्नी काट जाते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर पूर्व भारतीय कप्तान  राहुल द्रविड़ ने कहा 'मुझे इस बारे में अभी ठीक से कुछ पता नहीं है।'

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ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज जैसे कई देशों में खिलाड़ियों की एसोसिएशन है, जो क्रिकेट कैलेंडर से लेकर, खिलाड़ियों के हितों के लिए बोर्ड से भिड़ जाते हैं। ऐसे में जरूरी होगा कि कम से कम खुद के लिए खिलाड़ी आगे आएं, नहीं तो ऐसी सिफारिशें लागू होने के बाद भी बेमानी रहेंगी।