यह ख़बर 12 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

श्रीनगर में बच्चों के अस्पताल की हालत बहुत खराब, 11 शिशुओं की मौत

कश्मीर में आई बाढ़ की फाइल तस्वीर

श्रीनगर:

पूरी कश्मीर घाटी का बाढ़ की वजह से बुरा हाल है और लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं। शहर में बच्चों का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल जीबी पंत की हालत बुरी है। यहां से कई बच्चों को सेना के अस्पताल में शिफ्ट किया गया। यहां दूसरे इलाकों से भी मरीजों को लाकर इलाज किया जा रहा है। इस अस्पताल में लगभग 11 शिशुओं की मौत हो चुकी है।

पानी की मार हर कहीं पड़ी है, चाहे वो बेहद सुरक्षित माने जाने वालेसेना के इलाके हों या फिर अस्पताल। जीबी पंत से बच्चों को सेना के बेस अस्पताल लाया गया, लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां बाढ़ ने कहर नहीं ढाया। हर तरफ बिखरी दवाएं बता रही हैं कि नुकसान कितना हुआ है। बाढ़ का पानी अपने साथ बड़े पैमाने पर गाद और कीचड़ भी लाया है।

इसकी सफाई में जवान जुटे हुए हैं। पर शुक्र है कि अस्पताल तीन हिस्सों में बंटा है और ज्यादा नुकसान सिर्फ नीचे वाले हिस्से में हुआ है।

ब्रिगेडियर एनएस लांबा ने बताया कि कैसे सीटी स्कैन और जरूरी सामान खाली करवा लिया गया।

छत्तीसगढ़ से मजदूरी करने श्रीनगर आई ननकी बाई ने सेना के बेस अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया। वहीं, महजबीन और उनकी बेटी अनिका की तबियत बेहद बिगड़ गई थी। ऐसे में उन्हें हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर सेना के अस्पताल लाया गया।
बेबी अनिका को एक्यूट न्यूमोनिया है लेकिन हालत अब धीरे-धीरे सुधर रही है।

ऐसे सुरक्षाबलों ने तारल से तनवीर अख़्तर को एयरलिफ्ट कर यहां ले आए। शुक्रवार की सुबह उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया। तनवीर के पेट में टूमर भी था जिसे ऑपरेशन के जरिये निकाल दिया गया। अब मां−बेटी दोनों की हालत बेहतर है।

अस्पताल में तैनात कर्नल सुब्रतो बता रहे हैं कि तमाम मुश्किलों के बावजूद यहां पूरी कोशिश की जा रही है कि बच्चों और महिलाओं के इलाज में कोई कमी न रह जाए।

अवंतिपोरा की अर्शीदा को बीते 9 सितंबर को एयरलिफ्ट कर यहां लाया गया था। अब वह एक बेटे की मां हैं और सेना का शुक्रिया अदा कर रही हैं।

श्रीनगर के नाज़िर के बच्चे को भी बेहद नाजुक हालत में यहां भर्ती किया गया था जो अब इस बात को लेकर शुक्रगुजार हैं कि बेटे की हालत सुधर रही है।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

आमतौर पर बाढ़ और इसके बाद के दिनों में बीमारियों और महामारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे में अस्पताल और डॉक्टरों की भूमिका आने वाले कई हफ्तों में और भी अहम रहेगी।