पत्रकारों पर हमले : असहमति और आलोचना के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा

पत्रकारों पर हमले : असहमति और आलोचना के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा

संदीप कोठारी की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली : बीते 1 जून को शाहजहांपुर में स्वतंत्र पत्रकार जगेंद्र सिंह की मौत का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि मध्य प्रदेश के बालाघाट से दो दिन पहले अपहृत पत्रकार संदीप कोठारी का जला शव शनिवार रात महाराष्ट्र में वर्धा के करीब एक खेत में पाया गया।

संदीप कोठारी 19 जून की रात 9 बजे अपनी मोटरसाइकिल से दोस्त ललित राहंगडाले के साथ उमरी गांव जा रहे थे,  जब एक फोर व्हीलर गाड़ी ने पहले उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मारी फिर ललित को मारपीट कर भगाने के बाद संदीप का अपहरण कर लिया। दो दिनों के बाद यानि शनिवार 21 जून की देर शाम को संदीप का शव महाराष्ट्र के वर्धा के पास से बरामद किया गया।

माफियाओं के निशाने पर थे संदीप
संदीप, जबलपुर में कुछ अखबारों के लिए स्वतंत्र संवाददाता के तौर पर काम कर रहे थे। बताया जा रहा है कि संदीप अपनी रिपोर्ट में स्थानीय भू-माफ़िया और बालू खनन माफ़िया के ख़िलाफ़ लगातार शिकायत कर रहे थे। जिससे वे इन ख़नन माफियाओं की नज़रों में आ गए थे। ये लोग संदीप पर उनके खिलाफ़ अवैध खनन का एक केस वापस लेने का दबाव भी बना रहे थे।

कटंगी के एसडीओपी जगन्नाथ मरकाम के अनुसार, "पुलिस ने संदीप का शव बरामद करने के लिए एक टीम नागपुर भेजी है, और इस सिलसिले में तीन लोगों राकेश नसवानी, विशाल दांडी एवं बृजेश डहरवाल को गिरफ्तार किया है, जबकि चौथा आरोपी फ़रार है। ये तीनों गिरफ़्तार आरोपी अवैध खनन और चिटफंड के कारोबार से जुड़े हुए हैं।"

जगेंद्र सिंह मामला

दूसरी तरफ़ जगेंद्र सिंह की हत्या मामले की एकमात्र चश्मदीद द्वारा अपना बयान बदलने के बाद भी ऐसी आशंका जताई जा रही है कि, जिस तरह से इस मामले में यूपी के मंत्री राममूर्ति वर्मा का नाम सामने आया है, उससे निष्पक्ष जांच की उम्मीद दम तोड़ती नज़र आ रही है।  


जगेंद्र सिंह की मौत के मामले में फिलहाल दो केस दर्ज हैं, एक आत्महत्या का, जिसमें वो खुद अभियुक्त हैं और दूसरा उनकी कथित तौर पर हत्या की, जिसमें पांच पुलिस वाले और एक मंत्री अभियुक्त हैं।

इस मामले की अकेली चश्मदीद गवाह जगेंद्र की महिला दोस्त कहां हैं, ये किसी को नहीं पता। इस महिला पर भी पुलिस ने उन्हें आत्महत्या में मदद करने का केस दर्ज किया है।

जगेंद्र ने अपनी मौत से पहले अपने बयान में अखिलेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा पर उन्हें जलाकर मारने का आरोप लगाया था। कहा जा रहा है कि जगेंद्र ने फ़ेसबुक पर मंत्री के ख़िलाफ़ एक मुहिम छेड़ रखी थी और उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे।

टीवी रिपोर्टर के साथ मारपीट
दो दिन पहले यूपी के चंदौली ज़िले में भी एनएनओआई टीवी न्यूज़ एजेंसी के स्ट्रिंगर अनिल कुमार सिंह के साथ चार युवकों ने मारपीट करने के बाद उनका माइक, आईडी, कैमरा और मोबाइल लूट लिया।  

अनिल की किस्मत अच्छी थी कि शोर-शराबा होने के कारण वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और मौके पर पुलिस के पहुंचने पर आरोपी फ़रार हो गए और वे बच गए।

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दबंगों के ख़िलाफ़ आवाज़
एक के बाद होती इन घटनाओं ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि पत्रकारों के प्रति जिस तरह से हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, कहीं वो लोकतंत्र में असहमति और आलोचना की घटती जगह का सबूत तो नहीं। इन सभी मामलों में जो बातें सामने आई हैं वो ये कि हत्या और हमले का आरोप नेताओं, बाहुबलियों और पुलिस पर समान रूप से लगा है। मारे गए पत्रकारों ने प्रभावशाली लोगों के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ रखी थी और तीनों ही स्वतंत्र पत्रकार थे, यानि उनके साथ खड़ा होने वाला कोई मज़बूत मैनेजमेंट नहीं था।