कंगना रनौत मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में बजा श‍िवसेना नेता का गाली वाला ऑडियो

इस महीने की शुरुआत में कंगना रनौत की पाली हिल ऑफिस को ध्वस्त कर दिया गया था; बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का दावा है कि इसमें अवैध निर्माण हैं. उच्च न्यायालय ने 9 सितंबर को बीएमसीप की कार्रवाई को रोक दिया था.

कंगना रनौत मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में बजा श‍िवसेना नेता का गाली वाला ऑडियो

मुंबई:

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगाना रनौत (Kangana Ranaut) के पाली हिल स्थित ऑफिस को गिराए जाने के मामले में कंगना की याचिक पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हई. सुनवाई के दौरान शिवसेना नेता संजय राउत की ऑडियो रिकॉर्डिंग आज बॉलीवुड अभिनेता कंगना रनौत के वकील द्वारा गाली साबित करने के लिए चलाई गई.  वकील ने रानौत के हवाले से कहा, "तथ्य यह है कि मेरे एक ट्वीट को संजय राउत की बहुत कड़ी प्रतिक्रिया मिली, जहां उन्होंने कहा कि मुझे सबक सिखाया जाना चाहिए." जैसा कि अदालत ने उन्हें दावा साबित करने के लिए शिवसेना नेता की रिकॉर्डिंग बजाने के लिए कहा, संजय राउत के वकील प्रदीप थोरात ने आपत्ति जताई और कहा कि "ऑडियो में याचिकाकर्ता का नाम नहीं है."

इस पर वर्चुअल सुनवाई कर रहे कोर्ट ने कहा, 'अगर यह आपका स्टैंड है आप (ऑडियो में) ने याचिकाकर्ता को गाली नहीं दी है तो हम इसे रिकॉर्ड करेंगे. क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए?"इस पर संजय राऊत के वकील ने कहा हम पर कल (मंगलवार) हलफनामा देंगे.

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राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कंगना की निंदा करते हुए अपशब्दों का प्रयोग किया था और ये कैमरे में कैद हुआ था. वह 33 वर्षीय अभिनेता पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसमें मुंबई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से कर दी थी. राउत ने यहां तक कहा था कि कंगना को मुंबई से बाहर रहना चाहिए. हालांकि उन्होंने नाराजगी के बीच कंगना रनौत पर अपमानजनक शब्द के लिए माफी नहीं मांगी थी, लेकिन उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि उनकी पसंद का शब्द बेहतर हो सकता है.  संजय राउत ने एनडीटीवी से कहा, "मुझसे गलती हो सकती है."

इस महीने की शुरुआत में कंगना रनौत की पाली हिल ऑफिस को ध्वस्त कर दिया गया था; बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का दावा है कि इसमें अवैध निर्माण हैं. उच्च न्यायालय ने 9 सितंबर को बीएमसीप की कार्रवाई को रोक दिया था, जिसे अभिनेत्री की जीत की तरह माना जा रहा था. इस कार्रवाई में अदालत ने देखा, "यह जब हो रहा था जब वह राज्य से बाहर थी, उसे 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया और लिखित अनुरोध के बावजूद उसे आगे कोई समय नहीं दिया गया"

आज कंगना रनौत के वकील ने अदालत से कहा, "कोई निर्माण नहीं चल रहा था, बिना किसी भी खोज के आधार पर कि कोई भी कार्य प्रगति पर था, नोटिस जारी नहीं किया गया था. बीएमसी अधिनियम की धारा 354 ए के तहत, मान लिया जा रहा थाअधिकारियों को पहले व्यक्ति को परमिट जारी करने का अवसर देने के लिए नोटिस जारी करना होगा।

उन्होंने अदालत को बताया,“पार्टियों के पास नियमितीकरण के लिए जाने का विकल्प भी है. इन अवसरों को कंगना रनौत ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि बीएमसी अधिकारियों ने प्रावधानों के अनुसार काम नहीं किया."

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