अयोध्या विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल को 15 अगस्त तक का और समय दिया

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले के हल के लिए गठित मध्यस्थता पैनल को 15 अगस्त तक का समय दे दिया है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह मध्यस्थता पैनल को लेकर आशावादी है. 

खास बातें

  • मध्यस्थता पैनल को 15 अगस्त तक का और वक्त
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम आशान्वित हैं
  • कोर्ट ने कहा, पैनल की प्रगति नहीं बता सकते हैं
नई दिल्ली :

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले के हल के लिए गठित मध्यस्थता पैनल को 15 अगस्त तक का समय दे दिया है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह मध्यस्थता पैनल को लेकर आशावादी है. अयोध्या मामले पर सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने कहा कि हमने मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखी है. चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्यस्थता पैनल और वक्त चाहता है. हम इसके लिए सहमत हैं. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया को लेकर हमने रिपोर्ट देखी है. पैनल ने 15 अगस्त तक वक्त मांगा है. ऐसे में समय दिया जा रहा है. हम नहीं चाहते हैं कि मध्यस्थता के बीच में आएं. चीफ जस्टिस ने कहा कि पैनल आशावादी है. हालांकि  पैनल ने क्या प्रगति की है हम बताना नहीं चाहते.  

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वहीं, मुस्लिम पक्षकार की ओर से राजीव धवन ने कहा कि हम इसका समर्थन करते हैं. कोर्ट में सुनवाई करीब 6 मिनट ही चली. हालांकि रामलला विराजमान की ओर से मोहलत दिए जाने का विरोध किया गया. सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि पहले ही इस मामले की सुनवाई में काफी देर हो चुकी है. लिहाज़ा ज़्यादा मोहलत उचित नहीं होगी. मध्यस्थता समिति की बैठक जून में प्रस्तावित हैं. तो जून तक मोहलत दे कर जुलाई में इसकी सुनवाई की जा सकती है, लेकिन CJI ने कहा कि समिति ने सकारात्मक संकेत दिए हैं, लिहाज़ा वक्त देने में कोई हर्ज नहीं है. अब इस मामले की सुनवाई 15 अगस्त के बाद ही होगी. 

आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने सीलबंद लिफाफे में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी. उच्चतम न्यायालय ने मामले के सर्वमान्य समाधान की संभावना तलाशने के लिये इसे आठ मार्च को मध्यस्थता के लिये संदर्भित किया था. शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन किया था. इस समिति के अन्य सदस्यों में आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल थे.

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