जुमे की नमाज के बाद अयोध्या मामले को लेकर पढ़ा जाएगा जमीयत उलेमा का ये पत्र

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के मद्देनजर सभी राज्यों से चौकन्ना रहने के लिए कहा है.  

जुमे की नमाज के बाद अयोध्या मामले को लेकर पढ़ा जाएगा जमीयत उलेमा का ये पत्र

खास बातें

  • जमीयत उलेमा उत्तर प्रदेश ने जारी किया पत्र
  • शांति बनाए रखने और फैसले के सम्मान करने की अपील की
  • केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्क रहने के लिए कहा

राम जन्म भूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस महीने आना है. ऐसे में सुरक्षा को देखते हुए सरकार हर तरह से चौकन्नी है. वहीं मस्जिदों में मुस्लिम पक्ष से लगातार इस मसले पर शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है. उत्तर प्रदेश में जमीयत उलेमा ने मस्जिदों को एक पत्र लिखा है, जिसे जुमे की नमाज के बाद पढ़ा जाएगा. इस पत्र में लिखा है कि बाबरी मस्जिद - राम जन्मभूमि फैसला अगर मुसलमानों के हक़ में आए तो इसकी कोई आतिशबाजी करके खुशी ना मनाए.  किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश ना करें. और अगर फैसला मुसलमानों के खिलाफ में आए तो मायूस न हों और इसका सम्मान करें. 

पत्र में लिखा है कि सब अमन बनाए रखें यही देश और हम सबके लिए बेहतर है. ये पत्र जुमे की नमाज अदा करने के बाद देश की तमाम मस्जिदों में पढ़ा जाएगा. इससे पहले भी राज्य की तमाम मस्जिदों में इस तरह की अपील की जा चुकी है. 

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के मद्देनजर सभी राज्यों से चौकन्ना रहने के लिए कहा है.  मध्यप्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लागू हो गई है. राजधानी भोपाल में कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने सोशल मीडिया पर भी शिकंजा कसते हुए आपत्तिजनक, भड़काऊ, किसी संप्रदाय विशेष को टार्गेट करते संदेश, तस्वीर, वीडियो पोस्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन सारे उपायों के अलावा प्रशासन ने एक खास तैयारी की है, जिसमें अहम भूमिका होगा आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पटवारियों की जो सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे.

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बता दें सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल द्वारा सुझाई गई समझौता योजना हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए ही जीत वाली स्थिति होगी. फिलहाल सुनवाई 17 अक्टूबर को ही पूरी हो चुकी है. अब भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवम्बर को अपनी सेवानिवृत्ति से पहले मामले में फैसला सुना सकते हैं. 

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