अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड इस वजह से दाखिल नहीं करेगा रिव्यू पिटीशन

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना रुख साफ किया

अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड इस वजह से दाखिल नहीं करेगा रिव्यू पिटीशन

सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारुकी ने कहा है कि बोर्ड अयोध्या मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा.

खास बातें

  • पर्सनल लॉ बोर्ड की 17 को और सुन्नी वक्फ बोर्ड 26 नवंबर को बैठक
  • बोर्ड ने कहा- रिव्यू पिटीशन फाइल करने से माहौल खराब होगा
  • कोर्ट के फैसले ने बहुत पुराने विवाद को खत्म कर दिया
लखनऊ:

अयोध्या मामले में रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार याचिका) फाइल करने और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन पर मुसलमानों की राय बंटी हुई है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस पर कल मीटिंग करेगा. पर्सनल लॉ बोर्ड 17 को और सुन्नी वक्फ बोर्ड 26 को बैठक करेगा. लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड का मानना है कि रिव्यू पिटीशन फाइल करने से माहौल खराब होगा, इसलिए वह पिटीशन दाखिल नहीं करेगा.

अयोध्या में अब अमन होगा, यह आम खयाल है..लेकिन यह खयाल इसलिए है कि अदालत ने पूरी ज़मीन मंदिर के लिए दे दी. अगर हाईकोर्ट की तरह सुप्रीम कोर्ट भी ज़मीन मंदिर मस्जिद में बांट देता तो झगड़ा बरकरार रहता. सुन्नी वक्फ बोर्ड रिव्यू पिटीशन न फाइल करके इससे बचना चाहता है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारुकी का कहना है कि 'फैसला जो आया है उसने उस बहुत पुराने विवाद को खत्म कर दिया है, जिसमें देश में बहुत दंगे हुए, बहुत लोगों की जानें गईं और एक तनाव का माहौल रहा. इस फैसले के बाद क्लेश और तनाव का माहौल खत्म हो जाएगा. इसीलिए हम और इस चीज को आगे और न ले जाएं. टेंशन को और आगे न बढ़ाएं और देश में अच्छा माहौल कायम रहे.'

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तमाम मुस्लिम ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि उन्हें इंसाफ मिलने में कमी रह गई. लेकिन वे यह भी कहते हैं कि यह फैसला ही इस मसले का अकेला हल है. मुसलमानों का एक तबका मध्यस्थता के जरिए भी झगड़े वाली जमीन देने का हिमायती था. लेकिन अगर ऐसा होता तो जमीन छोड़ने वालों को भारी विरोध का सामना करना पड़ता. लेकिन चूंकि यही काम संविधान पीठ ने कर दिया तो सबको मानना होगा.

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जफर फारुकी कहते हैं कि 'हमारा शुरू से यह स्टैंड रहा था. न सिर्फ हमारा बल्कि सारे मुस्लिम फारिक़न का स्टैंड था कि जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा, हम उसको मान लेंगे. तो फैसला सुप्रीम कोर्ट का आ गया है. फैसला आया है तो हम अपना स्टैंड नहीं बदलेंगे. जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है, वो हम मान लेंगे. और कोई रिव्यू हम इस वजह से नहीं फाइल कर रहे हैं.'

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सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर बनाने के लिए सरकार से ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है, लेकिन मस्जिद के लिए ऐसे कोई निर्देश नहीं हैं. मस्जिद की ज़मीन को लेकर राय अलग-अलग हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें खैरात नहीं चाहिए. कुछ लोग चाहते हैं कि उस ज़मीन पर मस्जिद के बजाए हॉस्पिटल बना दिया जाए. कुछ वहां स्कूल तो कुछ मस्जिद ही बनाना के हिमायती हैं. इस पर 26 तारीख तक सबका रुख साफ हो जाएगा.

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जफर फारुकी ने कहा कि 'गवर्नमेंट जमीन देगी वक्फ बोर्ड को. अब वक्फ बोर्ड में यह तरीका है कि जब कोई जजमेंट आता है, और यह तो बहुत अहम जजमेंट है, उसका लीगल एग्ज़ामिनेशन कराकर लीगल ओपीनियन ली जाती है. फिर बोर्ड डिसाइड करता है कि इसमें क्या करना है. तो अभी हम इस प्रोसेस में हैं कि हम लीगल ओपीनियन ले कर रहे हैं. लीगल ओपीनियन आ जाए. और उसकी रोशनी में जो है..हमको इस ऑर्डर की कंप्लाइएंस में क्या करना है, यह हम बोर्ड की मीटिंग में डिसाइड करेंगे.'

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