अयोध्या मामले में मध्यस्थता पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला, कहा- यह केवल जमीन विवाद नहीं, दिल, दिमाग और हीलिंग का मामला है

Ayodhya Case Updates: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें. अगर एक फीसदी भी बातचीत की संभावना हो तो उसके लिए कोशिश होनी चाहिए.

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट में अहम हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अगुवाई में पांच जजों का संविधान पीठ ने केस में मध्यस्थता के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है.  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें. अगर एक फीसदी भी बातचीत की संभावना हो तो उसके लिए कोशिश होनी चाहिए.

संविधान पीठ ने कहा था कि ये विवाद दो धर्मों की पूजा अर्चना से जुड़ा हुआ है लिहाजा इसे कोर्ट द्वारा नियुक्त किये गए मध्यस्थ के जरिये सुलझाने की पहल की जानी चाहिए. पीठ ने कहा था कि मुख्य मामले की सुनवाई 8 हफ्ते के बाद होगी तब तक आपसी समझौते से विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जा सकता है. इस पर रामलला विराजमान और हिन्दू महासभा ने विरोध जताया था, जबकि मुस्लिम पक्ष और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा था कि वो आपस में बातचीत करने के लिए तैयार है. 

Ayodhya Case in SC Live Updates:-

- सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट तय करेगा कि इस मामले में मध्यस्थता की जाए या नहीं. साथ ही सभी पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए नाम देने को कहा है. चीफ जस्टिस ने कहा कि सब पक्षकार आज ही नाम दे दें. हम जल्द ही आदेश जारी करेंगे.

- रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया अयोध्या का मतलब राम जन्मभूमि. यह मामला बातचीत से हल नहीं हो सकता. साथ ही कहा कि मस्जिद किसी दूसरे स्थान पर बन सकती है. इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आप अपना यह पक्ष मध्यस्थता के दौरान रख सकते हैं. इस पर रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया कि फिर मध्यस्थता का मतलब क्या है?

- रामलला विराजमान की ओर से सीएस वैद्यनाथन बहस कर रहे हैं. रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में आपसी बातचीत से विवाद को हल करने की कोशिश की थी लेकिन नहीं हो पाया था. 

- BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी: मध्यस्थता के कुछ पैरामीटर हैं और उससे आगे नहीं जा सकता. उन्होंने 1994 में संविधान पीठ के फैसले का जिक्र किया, जिसमें पासिंग रिमार्क था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अंदरूनी हिस्सा नहीं है.

- हिन्दू पक्ष ने कहा कि मान लीजिये की सभी पक्षों में समझौता हो गया तो भी समाज इसे कैसे स्वीकार करेगा? इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर समझौता कोर्ट को दिया जाता है और कोर्ट उस पर सहमति देता है और आदेश पास करता है. तब वो सभी को मानना ही होगा.

- जस्टिस चंद्रचूड़: कोर्ट का फैसला एक बाध्यकारी चरित्र है. मध्यस्थता में हम कैसे लोगों को बाध्यकारी बना सकते हैं. 
 
- जस्टिस बोबड़े: जब कोई पार्टी किसी समुदाय की प्रतिनिधि होती है, चाहे वह प्रतिनिधि के मुकदमे में कोर्ट की कार्यवाही हो या मध्यस्थता हो. उसे बाध्यकारी होना चाहिए.

- जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मध्यस्थता के जरिए हुए फैसले को लाखों लोगों के लिए बाध्यकारी कैसे बनाया जाए? तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मध्यस्थता का सुझाव कोर्ट की तरफ से आया है और बातचीत कैसे होगी ये कोर्ट को तय करना है?

- जस्टिस चंद्रचूड ने कहा मध्यस्थता का मकसद पक्षकारों के बीच समझौता कराना है. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि हम मध्यस्थता के लिए खुले हैं.

- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से संकल्प की वांछनीयता एक आदर्श स्थिति है. लेकिन असल सवाल यह है कि ये कैसे किया जा सकता है?

- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: यह केवल पार्टियों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि दो समुदायों को लेकर विवाद है. हम मध्यस्थता के माध्यम से लाखों लोगों को कैसे बांधेंगे? यह इतना आसान नहीं होगा.

- मुस्लिम पक्ष की ओर से धवन ने कहा कि संविधान पीठ सभी पक्षों को कहे कि मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाए. यहां तक की मध्यस्थ को भी कहा जाए कि वो गोपनीय रखें, जब तक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल नहीं होती. 

- जस्टिस बोबडे: पक्षकारों द्वारा गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. मीडिया में इसकी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिएं. प्रक्रिया की रिपोर्टिंग ना हो. अगर इसकी रिपोर्टिंग हो तो इसे अवमानना घोषित किया जाए.

- मुस्लिम पक्ष वकील: यह कोर्ट के ऊपर है कि मध्यस्थ कौन हो? मध्यस्थता इन कैमरा हो. इस पर जस्टिस बोबड़े बोले- यह गोपनीय होना चाहिए.

- मुस्लिम पक्षकार की ओर ओर से राजीव धवन अपना पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो पुराने फैसलों का जिक्र किया.

- जस्टिस बोबड़े: यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं है, बल्कि भावनाओ से जुड़ा हुआ भी है. दिल, दिमाग और भावनाओं का मामला है. इसलिए कोर्ट चाहता है कि आपसी बातचीत से इसका हल निकले. 

- कोई उस जगह बने और बिगड़े निर्माण या मन्दिर मस्जिद और इतिहास को UNDO नहीं कर सकता. बाबर था या नहीं, वो किंग था या नहीं ये सब इतिहास की बात है. सिर्फ आपसी बातचीत के प्रोसेस से ही UNDO हो सकता है. - जस्टिस बोबड़े

- जस्टिस बोबड़े: जो पहले हुआ हमारा कोई नियंत्रण नहीं. हम इस विवाद में अब क्या है उस पर बात कर रहे हैं. 

- हम देश की बॉडी पॉलिटिक्स के असर को जानते हैं. ये दिल दिमाग और हीलिंग का मसला है.- जस्टिस बोबड़े

- संविधान पीठ ने हिन्दू महासभा से कहा कि आप अनुमान लगा रहे है कि समझौता नहीं होगा. यह केवल जमीन का विवाद नहीं है, ये भावनाओं से जुड़ा हुआ है. 

- जस्टिस बोबड़े ने हिंदू महासभा से कहा- आप कह रहे हैं कि समझौता फेल हो जाएगा. आप प्री जज कैसे कर सकते हैं ?

- हिंदू महासभा ने पीठ से कहा जनता मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं होगी. तो इस पर संविधान पीठ ने कहा कि आप कह रहे है कि इस मसले पर समझौता नहीं हो सकता.

- हिंदू महासभा ने कहा कि समझौते के लिए पब्लिक नोटिस का जारी होना जरूरी है. समझौते के लिए मधयस्थ नियुक्त करने से पहले पब्लिक नोटिस जरूरी.

- अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू. पांच जजों की संविधान पीठ में सुनवाई. हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन ने बहस की शुरुआत की.

दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 क्या कहती है?

दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत कोर्ट जमीनी विवाद को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने को कह सकता है. कानून के जानकारों के अनुसार, जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी है, अगर कोई पक्ष इस समझौते से तैयार नहीं होता तो अदालत लंबित याचिका पर सुनवाई करेगा.

क्या आपसी समझौते से सुलझेगा अयोध्या विवाद ?

सभी पक्षों की क्या है राय है?

निर्मोही अखाड़ा
निर्मोही अखाड़ा एक मात्र ऐसा हिंदू पक्ष है, जो इस मामले को सुलझाने के लिए बातचीत करने को तैयार है. निर्मोही अखाड़ा के वकील का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं.

मुस्लिम पक्ष 
26 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन और दुष्यंत दवे ने कहा था कि वो बातचीत के लिए तैयार है. लेकिन बातचीत की रिकॉर्डिंग हो और गोपनीय हो. 

अयोध्या विवादः सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में मध्यस्थता के जरिए चाहता है समझौता

रामलला विराजमान 
रामलला विराजमान के वकील सी एस वैधनाथन ने कोर्ट से बाहर इस मामले की सुलझाने के लिए तैयार नहीं हैं. 26 फरवरी को सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा था कि इस मसले को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन सहमति नही बन पाई. ऐसे में कोर्ट इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू करे. 

अखिल भारत हिन्दू महासभा 
अखिल भारत हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन के कहा कि इस मसले का बातचीत से हल नहीं निकल सकता. क्योंकि इससे पहले भी कई बार बातचीत से इस विवाद को हल करने की कोशिश की गई है. अयोध्या राम जन्मभूमि में एक टुकड़ा भी मुस्लिम पक्ष को नहीं दिया जा सकता. 

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VIDEO- अयोध्या मामले में आज SC में सुनवाई

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