स्वतंत्रता दिवस पर मुफ्त इलाज की स्वास्थ्य बीमा योजना का तोहफा दे सकते हैं पीएम मोदी

केंद्र सरकार अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना 'आयुष्मान भारत' पर अमल का ऐलान कर सकती है

स्वतंत्रता दिवस पर मुफ्त इलाज की स्वास्थ्य बीमा योजना का तोहफा दे सकते हैं पीएम मोदी

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • योजना में 5 लाख रुपये तक सबको मुफ्त इलाज की सुविधा
  • योजना का फायदा 10 करोड़ 74 लाख परिवारों को मिलेगा
  • सोशियो-इकोनोमिक कास्ट सेन्सस 2011 के आधार पर की गई लाभार्थियों की पहचान
नई दिल्ली:

इस पंद्रह अगस्त को केंद्र सरकार अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना पर अमल का ऐलान कर सकती है. बताया जा रहा है कि 10 करोड़ से ज़्यादा परिवारों के मुफ्त इलाज की स्वास्थ्य बीमा योजना इस आजादी के जलसे में प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया तोहफ़ा हो सकती है.

आयुष्मान भारत के सीईओ इंदु भूषण अपने ब्योरों को आख़िरी शक्ल देने में जुटे हैं.आख़िर क़रीब 50 करोड़ लोगों के स्वस्थ जीवन का मामला है. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री 15 अगस्त के भाषण में 5 लाख रुपये तक सबको मुफ़्त इलाज का एलान करने वाले हैं.

एनडीटीवी से खास बातचीत में आयुष्मान भारत के सीईओ इंदुभूषण ने कहा कि इस योजना का फायदा जिन 10 करोड़ 74 लाख परिवारों को मिलेगा उनकी पहचान कर ली गई है. इनकी पहचान सोशियो-इकोनोमिक कास्ट सेन्सस 2011 के आधार पर की गई है. इंदुभूषण ने आगाह किया कि कई वेबसाइट्स खुल गई हैं जो आम लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही हैं कि वे उन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत लोगों को इनरोल करा सकती हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसी वेबसाइट से बचना चाहिए क्योंकि भावी लाभार्थियों की पहचान की जा चुकी है.

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आयुष्मान भारत के सीईओ ने ये भी कहा कि स्वास्थय मंत्रालय जल्दी ही एक हेल्पलाइन नंबर जारी करेगा जिसकी मदद से लोग ये चेक कर सकेंगे कि  उनका नाम लाभार्थी सूची में है या नहीं.

फिलहाल इस योजना को लागू करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ MoU साइन किया है. तैयारी इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो में चरणबद्ध तरीके से चुने हुए ज़िलों और अस्पतालों में लागू करने की है. इस योजना के दायरे में 1350 बीमारियों का बीमा आएगा. यह राज्य सरकारें तय करेंगी कि बीमा कंपनियां इलाज का कितना ख़र्च उठाएंगी और उनका प्रीमियम कितना होगा.

इंदुभूषण ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने प्रीमियम देने की ज़िम्मेदारी बीमा कंपनियों को सौंपने का फैसला किया है. जबकि कुछ राज्य एक ट्रस्ट सेटअप कर रहे हैं जो प्रीमियम का भुगतान करेगा.  सेहत उद्योग की नज़र फिलहाल इस बीमा के तहत अलग-अलग बीमारियों के इलाज की दरों पर है. उनका कहना है, सरकार ये ध्यान रखे कि इसमें किसी को नुक़सान न हो.

एनडीटीवी से बातचीत में मेदांता ग्रुप के चेयरमैन और सीआईआई हेल्थकेयर कमेटी के अध्यक्ष डा नरेश त्रेहन ने कहा, "आयुष्मान भारत में अलग-अलग इलाज के खर्च पर चर्चा चल रही है. रेट ऐसा होना चाहिए जो अफोर्डेबल हो और किसी का भी नुकसान न हो...अगर प्राइवेट अस्पतालों का नुकसान होगा तो इसमें भाग नहीं ले सकेंगे. एक रियलिस्टिक रेट तय होना चाहिए...जिसको ट्रू-कॉस्ट (True Cost) कहते हैं."

VIDEO : आयुष्मान भारत की ओर पहला कदम

फिलहाल आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस समझौते से अलग हैं. अब सबकी नज़र प्रधानमंत्री के भाषण पर है.


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