बाबरी विध्वंस केस : पता नहीं देने वाले आरोपियों को 18 जून तक पेश होने का निर्देश

उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक पूरी की जानी है.

बाबरी विध्वंस केस : पता नहीं देने वाले आरोपियों को 18 जून तक पेश होने का निर्देश

गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ढहा दिया था. (file pic)

लखनऊ:

बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत के समक्ष आरोपियों में शामिल उमा भारती स्वयं पेश हो सकती हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह के वकीलों ने बुधवार को सीबीआई अदालत के समक्ष यह संकेत दिया कि ये नेता वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हो सकते हैं. विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने अभी तक अपना बयान दर्ज नहीं करवा पाएं आरोपियों को विकल्प देते हुए उनका पता मांगा था कि वीडियो कांफ्रेंस के जरिये उनके बयान लिये जा सकें. अदालत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत 32 आरोपियों के बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया में है. इसके बाद अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह होगी. बुधवार को भाजपा सांसद साक्षी महाराज अदालत के सामने पेश हुए और उन्होंने इस बात से स्पष्ट इंकार किया कि उन्होंने अयोध्या में मस्जिद विध्संस की साजिश रची थी.

अदालत ने मामले के एक अन्य अभियुक्त ओमप्रकाश पांडे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. पांडे के वकील ने न्यायालय को बताया कि उनके मुवक्किल आजमगढ़ के रहने वाले हैं लेकिन उनके मौजूदा पते के बारे में जानकारी नहीं है. आडवाणी, जोशी, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, सुधीर कक्कड़, आचार्य धर्मेंद्र देव, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर और आर. एन. श्रीवास्तव ने भी अपने वकीलों के जरिए अपने पते अदालत को उपलब्ध कराये. न्यायाधीश यादव ने कहा कि ऐस प्रतीत होता है कि शेष आरोपी स्वयं पेश होना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘लिहाजा ऐसे आरोपी जिन्होंने अपने पते उलब्ध नहीं कराये या जो अदालत में बयान दर्ज करवाने के लिए पेश नहीं हुए हैं, उन्हें 18 जून को पेश होना का निर्देश दिया जाता है. '' अदालत ने कहा कि नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर जब तक वीडियो कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था नहीं कर लेता तब तक वह बाकी अभियुक्तों का बयान दर्ज करना जारी रखेगी.

उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक पूरी की जानी है. इसके मद्देनजर मामले की अदालत में रोजाना सुनवाई की जा रही है. गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ढहा दिया था. उनका मानना था कि इस मस्जिद का निर्माण प्राचीन राम मंदिर को ढहा कर किया गया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)